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(२) श्रीमती ओधनियुक्तिः ]
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संसत्तं तत्तो चिज परिवेत्ता पुणो दवं गिण्हे । कारण मत्तयगहि पडिग्गहे छोढ पविसणया ॥५०४ ।। गामे य कालभाणे पहुच्चमाणे हवंति भंगट्ठा।
काले अपहुप्पंते नियत्तई सेसए भयणा ॥ ५०५ ।। 5 अण्णं च वए गामं अण्णं भाणं व गेह सइ काले ।
पढमे बितिए छप्पंचमे य भय सेस य नियत्ते ।। ५०६ ।। नोसिठ्ठमागयाणं उव्वासिअ मत्तए य भूमितिअं। पडिलेहियमत्थमणं सेसऽथमिए जहन्नो उ ॥५०७ ॥
भुत्ते वियारभूमी गयागयाणं तु जह य ओगाहे । 10 चरमाए पोरिसीए उक्कोसो सेस मज्झिमओ ॥५०८ ।।
पायपमज्जणनिसोहिया य तिनि उ करे पवेसंमि । अंजलि ठाणविसोही दंडग उवहिस्स निक्खेवो ॥ ५०९ ।। चउरंगुलमुहपत्ती उज्जुयए वामहत्थि रयहरणं ।
वोसटुचत्तदेहो काउस्सग्गं करेज्जाहि ॥५१० ॥ 15 पुवुदिढे ठाणे ठाउं चउरंगुलंतरं काउं।
मुहपोत्ति उज्जुहत्थे वामंमि य पायपुछणयं ।। ५११ ।। काउस्सग्गंमि ठिो चिते समुयाणिए अईआरे । जा निग्गमप्पवेसो तत्थ उ दोसे मणे कुज्जा ।। ५१२ ॥
ते उ पडिसेवणाए अणुलोमा होति वियडणाए य। 20 पडिसेववियडणाए एस्थ उ चउरो भवे भंगा ॥ ५१३ ।।
वक्खित्तपराहुत्ते पमत्ते मा कयाइ आलोए । आहारं च करेंतो नीहारं वा जइ करेइ ।। ५१४ ।।
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