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६-प्रत्याख्यानध्यायनम् .. १२-प्रत्याख्यान नियुक्तिः ] [ १८९
पच्चक्खाणस्स फलं इहपरलोए प्र होइ दुविहं तु । इहलोइ धम्मिलाई दामनगमाई परलोए ।। ३४ ।। पच्चक्खाणमिणं से विऊण भावेण जिणवरुद्दिट्ट। पत्ता अणंतजीवा सासयसुक्खं लहुं मुक्खं ।। ३५ ।। नायंमि गिव्हियत्वे अगिव्हियन्वंमि चेव अथमि । जहअश्वमेव इह जो उवएसो सो नओ नाम ॥ ३६ ।। सन्वेसिपि नयाणं बहुविहवत्तव्वयं निसामित्ता। तं सव्वनय विसुद्धं जं चरणगुणटिठओ साहू ॥ १६३७ ॥
।। इति प्रत्याख्याननियुक्तिः ॥ १२ ॥ ।। इति प्रत्याख्यानाध्ययनम् ।। ६ ।। ॥ इति सिरिभद्दबाहुसामी विरइया ।। आवस्सय-निज्जुत्ती समत्ता ।।१।।
(ग्रन्था २५००)
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