________________
१८६ ।
[ नियुक्तिसंग्रहः :: (१) आवश्यकनियुक्तिः
जइ असणमेव सव्वं पाणगं अविवज्जणंमि सेसाणं । हवइ य सेसविवेगो तेण विहत्ताणि चउरोऽवि ।। १६०४ ॥ असणं पाणगं चेव खाइमं साइमं तहा ।
एवं परूवियंमी सद्दहिउँ जे सुहं होइ ।। १६०५ ।। 5 अन्नत्थ निडिए वंजणमि जो खलु मणोगओ भावो ।
तं खलु पच्चक्खाणं न पमाणं वंजणच्छलणा ॥ १६०६ ।। फासियं पालियं चेव सोहियं तीरियं तहा । किट्टिअमाराहि चेव, एरिसयंमी पयइयव्वं ॥ ५६०७ ।।
पच्चक्खाणंमि कए आसवदाराई हुँति पिहियाई । 10 प्रासववुच्छेएणं तण्हावुच्छेअणं होइ ।। १६०८ ॥
तण्हावोच्छेदेण य अउलोवसमो भवे मणस्साणं । अउलोवसमेण पुणो पच्चक्खाणं हवइ सुद्धं ॥ १६०६ ।। तत्तो चरित्तधम्मो कम्मविवेगो तो अपुव्वं तु ।
तत्तो केवलनाणं तओ अ मुक्खो सयासुक्खो ।। १६१० ।। 15 नमुक्कारपोरिसीए पुरिमड्ड गासणेगठाणे य ।
आयंबिल अभत्त8 चरमे य अभिग्गहे विगई ।। ११ ।। दो छच्च सत्त अट्ठ सत्तट्ठ य पंच च्च पाणमि । चउ पंच अट्ट नव य पत्तेयं पिंडए नवए ॥१२ ।।
दोच्चेव नमुक्कारे आगारा छच्च पोरिसीए उ । 20 सत्तेव य पुरिमड्ड एगासणगंमि अट्ठव ॥१३ ।।
सत्तेगट्ठाणस्स उ अट्ठवायंबिलंमि आगारा। पंचेव अभत्त? छप्पाणे चरिमि चत्तारि ।। १४ ॥
Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org