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६-प्रत्याख्यानध्ययनम् :: १२-प्रत्याख्याननियुक्तिः ] [ १७९
वाए दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-संकप्पओ आरंभओ अ, तत्थ समणोवासओ संकप्पओ जावज्जीवाए पच्चक्खाइ नो आरंभओ, थूलगपाणाइवायवेरमणस्स समणोवासगेणं इमे पंच अइयारा जाणिअव्या, तंजहा-बंधे वहे छविच्छेए 5 अइभारे भत्तपाणवुच्छेए ॥१॥ सूत्रम् ॥
थूलगमुसावायं समणोवासओ पञ्चक्खाइ, से य मुसावाए पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-कंन्नालीए गवालीए भोमालीए नासावहारे कूडसक्खिज्जे । थूलगमुसावायवेरमणस्स
समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणिया , तंजहा10 सहस्सब्भक्खाणे रहस्सब्भक्खाणे सदारमंतभेए मोसुव एसे कूडलेहकरणे ॥ २ ॥ सूत्रम् ।।
थूलगअदत्तादाणं समणोवासओ पञ्चक्खाइ, से अदिनादाणे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सचित्तादत्तादाणे य अचि
त्तादत्तादाणे य । थूलादत्तादाणवेरमणस्स समणोवासएणं 15 इमे पंच अइयारा जाणियव्वा, तंजहा-तेनाहडे तकरप
ओगे विरुद्वरज्जाइक्कमणे कूडतुलकूडमाणे तप्पडिरूवगववहारे ॥ ३ ॥ सूत्रम् ।।
परदारगमणं समणोवासओ पच्चक्खाति सदारसंतोसं या पडिवज्जइ, से य परदारगमणे दुविहे पन्नत्ते, 20 तंजहा-ओरालियपरदारगमणे वेउवियपरदारगमणे, सदा
रसंतोसस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयार जाणियव्वा,
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