________________
८४ ]
[ नियुक्तिसंग्रह: :: ( १ ) आवश्यक नियुक्ति:
कालमणतं च सुए अद्धापरियट्टओ उ देसूणो । श्रीसायणबहुलारणं उक्कोसं अंतरं होई ॥। ५३ ।। सम्म सुयअगारीणं आवलियनसंखभागमेत्ता उ 1 अट्टममया चरिते सव्वेसु जहन्न दो समय ।। ५४ ।। 5 मुयसम्म सत्तयं खलु विरयाविरईय बारसगं । विरईए पन्नरसगं विरहियकालो अहोरता ॥ ५५ ॥ सम्मत्तदेसविरई पलियस्स असंखभागमेत्ताओ । अट्ठभवा उ चरिते श्रणंतकालं च सुयसमए ।। ५६ ।। तिन्ह सहस्सपुहुत्तं सयप्पुहुत्त च होइ विरईए । 10 एगभवे आगरिसा एवतिया होंति नायव्वा ।। ५७ ।। तिन्ह सहस्समसंखा सहसपुहुत्तं च होइ विरइए ।
णाणभवे आगरिया एवइया होंति णायव्वा ।। ५८ ।। सम्मत्तचरणसहिया सव्वं लोगं फुसे णिरवसेसं ।
सत्त य चोट्सभागे पंच य सुयदेसविरइए ।। ५६ ।। 15 सव्वजोवेहि सुयं सम्मचरित्ताइं सव्वसिद्धेहि ।
3
भागेहि असंखेज्जेहि फासिया देसविरईप्रो ।। ६६० ॥ सम्मद्दिट्टि ' प्रमोहोर सोही उ सबभाव दंसणं बोही । श्रविवज्जओ सुदिद्वित्ति एवमाई निरुताई ।। ६१ ।। अक्खर सन्नी संमं सादियं खलु सपज्जवसियं च । 20 गमियं अंगपविट्ठ सत्तवि एए सपंडिवक्खा विरयाविरई' संवुडमसंवुडे' बालपंडिए चेव । देसेवकदेस विरई ४ प्रणुधम्मो' अगारधम्मो य ।। ६३ ।।
।। ६२ ।।
3
७
Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org