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सिरिपउमप्पहसामिचरियं
पिच्छिज्जती सहरिस-स-विम्हयं कुमरपमुहेहिं ॥१८७७।। अइदूरनह-विलंघण-घणपरिसमसासभरियगलविवरा । एगा दिव्वा हंसी ललिया कमरस्स उच्छंगे ॥१८७८॥ (तिसृभिर्विशेषकम्) सा सज्झसवसकंपिरदेहा कुमरस्स तस्स मुहकमलं । पिच्छंती जंपेउं नरभासाए समारद्धा ॥१८७९॥ साहसिय सुहयसेहरसरणागयवज्जपंजरकुमार ! परितायहि परितायहि अहयं तुह सरणमणुपत्ता ॥१८८०॥ हवइ कसेसयकाणणमायासेखरसिरम्मि सविसाणं । कह वि हु तह वि न कहमवि चयंति सरणागयं धीरा ॥१८८१॥ पुरिसो नारी नारी पुरिसो उदयत्थमण-विवज्जासो । कह वि ह हवइ न कहमवि चयंति सरणागयं धीरा ॥१८८२ ।। नव-नलिण-नाल-कोमल-करेहि अह तीए पिच्छसंभारं परिमसमाणो कुमरो जंपइ मा भाहि मा भाहि ॥१८८३।। सक्को वा चक्की वा सेसो वा खेयरो व गरूडो वा । हे हंसि ! मज्झ उच्छंगसंगयं हरिउमसमत्थो ॥१८८४।। निम्महिय खीरसायरतरंगसरसाणि निययपिच्छाणि । किं किं पावसि भीया मज्झं उच्छंगपत्ता वि ॥१८८५॥ तं कलिय नियकरेहिं सयमेवमट्ठिऊण सरियाओ। सलिलं सलिलरुहाणं किसलयनिवहं समाणेइ ॥१८८६॥ ताणि निय पाणिपंकयगयाणि काऊण तत्थ सयमेव । भुंजावइ तं कुमरो पायइसरसलिलमइरम्मं । जह जह तिस्सा कमरो सणियं परिमसइ पिच्छसंभार । उद्धसिय पिच्छनिवहा तह तह संजायए एसा ॥१८८७॥ को निय जीवियतित्तो मह इव मरणं अखुट्टए काले । जगपरियत्तविसंठलजलणपवेस, महइ को वा ? ॥१८८८॥
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