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वर - सुहड सहसवरिओ सो वि हु तरुणिं हरित्तु नीहरिओ | पवहण - सयसामग्गी सामिय ! न हु हवइ सहसति ॥ ११८७ ॥ विम्हय-विसायकलसं रसंतरं जाव सयलपुरलोओ । अणुहवमाणो चिट्ठइ इह किं कायव्वया मूढो ॥११८८ ।। ताव सहस त्ति तेहि वि पयडंतो केवलिस्स आगमणं । वर - अमर-नियर - ताडिय - दुंदुहि - सद्दो तहिं निसुओ ॥११८९ ॥ राया चिंतइ सुद्धिं केवलिपासम्मि निययदइयाणं । पुच्छेमि ताव पच्छा जं होही तं करिस्सामि ॥११९०॥ उज्जाणे संपत्तं राया पुच्छे झत्ति केवलणं ।
किं नाह ! हिययदइया कइया वि मिलिस्सए मज्झ || १९९१ ॥ सो केवली पयंपइ नरवइ ! जम्मंतरे वि सा पावा । न हु मिलिही मह वयणं उवविसिय सुणेस एगमणो ॥ ११९२ ॥ नरनाहो मुणिनाहं विहिणा पणमित्तु उचियदेसम्मि । उवविसइ सेसलोओ तहेव पणमित्त उवविट्ठो ॥११९३॥ अह तीए भाविचरियं, केवलनाणी कहेइ सा तेण । मिलिया जा छम्मासं, गच्छिस्स विविहदीवेसु ॥११९४ ॥ इत्तोय अत्थि मित्त, अणंगदेवस्स काण - वीभच्छो । निय महुरसरविनिज्जिय किन्नरकंठो सुकंठु त्ति ॥११९५ ।। अह देवरसंबंधा, करिही हासाइयं इमा तेण । नारीण महव तत्तं, पायं नियाणुगामित्तं ॥ ११९६ ॥
वर -
र - महुर - गीय-लुद्धा, सह तेण निकाम-काम - रायंधा । वंचित्तु सत्थवाहं, सा असइ धुरंधरा रमिही ॥ ११९७॥ सा चिंतिस्सइ होही, न हु इमिणा अभय - महुरसद्देण । सच्छंदसुरयसुक्खं, जीवंते सत्थवाहम्मि ॥११९८॥ भाडयमुल्ले पुन्नेव खरवत्युं खिवे जह पुरिसो । तह सा निसीहसमए खिवही जलहिम्मि सत्थाहं ॥११९९॥
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सिरिपउमप्पहसामिचरियं
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