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५ माता- सुसीमा ६ पिता- धर ७ देव भव नवमग्रैवेयक ८ जन्मतिथि- कार्तिकवदी १२ ९ जिनान्तर- ९० हजार कोटि सागर १० ज्ञानोप्तत्ति तिथि- चैत्र सुदी १५ ११ निष्क्रमण- तिथि चैत्र वदी ८ १२ दो उपवास के साथ केवलज्ञान १३ छद्मस्थकाल- छह मास १४ श्रमण- तीन लाख तीस हजार १५ श्रमणिया- चार लाख २० हजार १६ गणधर- १०७ १७ श्रमणपर्याय- १६ पूर्वांग कम १ लाख पूर्व १८ कुमारत्व- ७॥ लाख पूर्व १९ राज्यकाल- २१॥ लाख पूर्व १६ पूर्वांग २० सर्वायु- ३० लाख पूर्व २१ सिद्धिस्थल- सम्मेत शिखर २३ - एक हजार श्रमणों के साथ निर्वाण
इसके अतिरिक्त आवश्यकसूत्र में चतुर्विंशति स्तव में भगवान पद्मप्रभ का नामोल्लेख है । तीत्थोगालि प्रकीर्णक में भ. पद्मप्रभ के अन्य नाम पउमाभ और सुप्रभ भी मिलते हैं (तित्थो. ४४६,४६१)
आगमेतरसाहित्य में भगवान पदमप्रभ विषयक सामग्री प्रचुरमात्रा में मिलती है । दसवी सदी से ले कर १८ वीं सदी तक में भ. पद्मप्रभ पर अनेक विद्वानों ने संस्कृत और प्राकृत भाषा में चरितग्रन्थ लिखे हैं ।
१ चउप्पन्नमहापुरिसचरियं (कर्ता शीलांकाचार्य र. सं. ९२५) २ कहावली - (कर्ता भद्रेश्वरसूरि र. सं १२वी सदी) ३ चतुर्विंशतिजिनेन्द्रसंक्षिप्त' चरितानि (कर्ता अमरचन्द्रसूरि र. ईसवीसन १२३८ से पूर्व) ४ त्रिशष्टिशलाकापुरुषचरित्र (र. सं. १२१६-१२२८ कर्ता क.स. हेमचन्द्राचार्य)
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