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________________ २५४ ६८ ३३७ WWW . الله 9 ३०६ الله الله mr m ३३२ ३२९ १३१ २५४ الله 0 २५८ . ३२९ ३२४ २७४ २७० चितानंतर सहसत्ति चिंतिज्जंतं पि इम चितेइ दळुमिच्छेइ चिट्ठउ ता परलोगो चित्तं चंपिज्जउ चित्तलिहिय-मणोरह चिलीणमसुइ-संपुण्णं चीवरखंडाणि मुहेण चुलसीइ जोणिलक्खण चोरपरदारियाणं चोरो व्व गुरु अदिण्णं छंदाणुवित्ति रहिया छंदालंकारविवज्जिय छड्डि वि दुज्जण-वासडा छत्त-धर्याचंधमउडे छत्तायारं सीसं छसुजीवनिकाएसुं छिदइ छत्तं पाडेइ छिज्जतेसु सहेलं छिण्णं छत्तं धयवड छ्यण-भेयणडहणं जइ अत्थि तुज्झ करुणा जइ अत्थि तेणुकंपा जइ अत्थि सुहसमीहा जइ अभिमुहा भवामो जइ अवहरणे बुद्धी जइ इच्छह धणरिद्धि जइ इच्छह धणरिद्धि जइ इच्छह परलोए जइ इच्छह मुत्तिसुहं जइ इच्छह सुहसंग जइ इच्छह सुहसंग जइ एयं चिय एक्कं जइ एस वच्छ ! दिवसो जइ कह विन सिझज्जा २८४ जइ कह वि विहिवसेण ३३३ जइ कह वि हया निहया १६६ जइ कह वि हु हारिज्जइ २५४ जइ कित्तीए कज्ज २०० जइ कूवदह रेणं ११३ जइ खंडिज्जइ सीलं जइ जिणइ कह वि . जइ जिणमयं पवज्जह जइ जिणमयं पवज्जह जइ जिणवयणामय १८६ जइ जिणवयणं पि तुम ३३८ जइ डज्झसि डज्झसु जइ ता जण-संववहार ३२ जइ तुह सुहेण कज्ज जइ ताव अहं बालो २७० जइ तुह रोयइ ता ३३७ जइ धणु फिट्टा १८६ जइ धम्मट्ठिउ नेच्छइ जइ धम्मेणं कज्जं ३२३ जइ न खणद्ध विरस ४४ जइ भद्दे तुह कज्जे जइ भो सुहेण कज्ज २६५ जइ मज्झ तुमं मित्तो ३३५ जइ महु वयणु करेसि जइ मुयह जहिच्छाए ३१४ जइ रमइ तुज्झ चित्तं १९४ जइ रागोच्चिय न भवे ३३२ जइ लब्भइ पहु मग्गियउं ३२८ जइ वच्चइ पायाले जइ वच्चह पायालं ३२९ जइ विकिर परमथोवं ३३३ जइ वि गुरुलहरिकल्लोल ३३५ जइ वि तए हं चत्ता जइ विहियं किं पि सुह २७९ जइ वि हु कम्मेण कुलं १२१ जइ वि हु पिवीलिगाइ ३०६ पजइ वि हु फासुयदव्वं ३३० जइ वि हु सो निण्णेहो ३०४ जइ सक्कह काउं ८५ जइ सच्चं सप्पुरिसो ३२५ जइ संजायविवेया ३३४ जइ समसुहसमीहा ३३३ ३३४ जइ सुमइ सुराहिव जइ सुमिणसत्थकुसलो जइ सोक्खेणं कज्जं जइ होज्ज दम्मदसमं १० जओ जओ वि एगागी २१२ जं अइ दुग्गंधं वीभच्छ २१५ जं अज्जियं चरित्तं २२० जं इच्छह अप्पणओ जं इमं साहुसंसरिंग ३३० जंकज्ज उवसमपरो ३१९ जंकल्ले कायव्वं २८४ जंकिपि मए चिण्णं ३२८ जंकुमरीणमणुचियं २८९ जंगिण्हंतो सड्ढो २६७ जं जंगुझं देहे १३३ जं जं जंपइ एसा १२४ जंजारचोरडाइणि ३३१ जं जेण किंपि दिण्णं ३१६ जंजेण पावियव्वं १०२ जं जेण पावियव्वं २८० ज जेण पावियव्वं ३३२ जंचेव रक्खगा लुंपगा १२२ जंतत्थट्ठियाण भवे १९३ जंताएण तहा महा- १. बृ० क० २८६३ : २. बृ० क० २७१५। ३२९ ३३७ २०१ ८६ २४७ १६३ ३०९ २४७ ३४ १३३ ० ० ८० ९५ १६० १. उपदे० ७१ । Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002596
Book TitleManorama Kaha
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorRupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages402
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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