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गेलड़ा
राजस्थान में जो ओसवाल विपुल संख्या में दिखाई दे रहे हैं, उनमें से अधिकांश के पूर्वज आचार्य जिनेश्वरसूरि व उनके शिष्य-प्रशिष्य अभयदेवसूरि, जिनवल्लभसूरि, जिनदत्तसूरि, जिनकुशलसूरि, जिनचन्द्रसूरि आदि द्वारा प्रतिबोधित हैं। इनमें सबसे अधिक श्रेय आचार्य जिनदत्तसूरि को ही प्राप्त है। आज इसी परम्परा के गुरुओं के उपदेशों का ही फल है कि हम शुद्ध शाकाहारी हैं, अहिंसा के उपासक हैं, जैन धर्म के अनुयायी हैं।
खरतरगच्छाचार्यों द्वारा प्रतिबोधित गोत्र निम्नलिखित हैं, जिनका मूल गच्छ खरतर हैओस्तवाल गुलगुलिया
टांक आयरिया गधैया
टांटिया कटारिया गांग
ट्रॅकलिया कठोतिया
टोडरवाल कवाड़ घीया
डागा कंकुचौपड़ा घेवरिया.
डुंगरेचा कांकरिया घोड़ावत
डोशी कांस्टिया चतुर
डाकलिया कुंभट चपलोत
ढड्ढा कूकड़ा
ढेलड़िया कोटेचा
चोरडिया कोठारी चौधरी
तातेड़ खटोड़ चौपड़ा
दक खजांची छजलानी
दफ्तरी खींवसरा छाजेड़
दसाणी गडवाणी जडिया
दांतेवडिया गणधर चौपड़ा जिन्दानी
दासोत गांधी जोगिया
दुगड़ गिडिया
झाड़चूर गोलेच्छा झाबक
दुसाज गोड़वाड़ा जीरावला
धाड़ीवाल (८)
भूमिका
चीपड़
ढोर
दुधेड़िया
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