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________________ भूमिका ऐसे संकटापन्न क्षणों में जबकि भूत-विज्ञान परमाणु को ले कर नित-नये प्रयोग कर रहा है, साध्वीश्री विद्युत्प्रभाजी का 'द्रव्य-विज्ञान' शीर्षक यह प्रबन्ध एक विशिष्ट महत्त्व रखता है। सब जानते हैं कि दर्शन तर्क की आधार-भूमि पर खड़ा होता है, और विज्ञान प्रयोग की बुनियाद पर। विज्ञान का सारा कारोबार प्रयोगशालाओं में सम्पन्न होता है। जैनदर्शन की प्रयोगशाला कैवल्य है; वहाँ जो सम्मुख है, वह शाश्वत सत्य है। उसमें कोई ननुनच नहीं है। यह अन्धविश्वास नहीं है, ज्ञान का वैभव है, उसका सर्वोच्च शिखर है। विज्ञान के रास्ते बदले हैं, जैनदर्शन का रास्ता वही है। जो पहले था, वही आज है, वही कल रहेगा। इसमें फेर-बदल की कोई गुंजाइश नहीं है। फर्क सिर्फ एक है। विज्ञान की डगर पार्थिव है, जैनदर्शन की अपार्थिव/आध्यात्मिक। वह मुक्ति की ओर है, बन्धन की दिशा में नहीं है। बन्धन-मुक्ति जैन धर्म/दर्शन का अन्तिम लक्ष्य द्रव्यों से लोक बना है। जहाँ तक जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश, और काल हैं - लोकाकाश है; तदनन्तर अलोकाकाश है। सत् द्रव्य का लक्षण है। वह है', उसका होना' ही उसकी निशानी है। जब लगता है कि वह नहीं है', तब मात्र वैसा लगता है, होता असल में वैसा नहीं है। वैसा होना संभव भी नहीं है। पर्यायान्तरण की वजह से भ्रम हो सकता है; किन्तु ध्यान रहे, जहाँ सम्यक्त्व है, वहाँ संशय अथवा आभास के लिए कोई स्थान नहीं द्रव्य की इबारत है - 'गुणपर्ययवद् द्रव्यम्' (त.सू. ३८)। द्रव्य, कोई भी वह हो, गुण और पर्यायवान् है। वह है, वह नहीं है' – इसकी व्याख्या गुण और पर्याय शब्दों में धड़क रही है। गुण-की-अपेक्षा वह है, पर्याय-की-अपेक्षा उसका व्यय और उत्पाद है; लोप और आगम है। जानें, लोक का ज़र्रा-ज़र्रा सापेक्ष है। द्रव्य छह हैं - जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश, काल; क्रमश: चेतन, अचेतन, गति, स्थिति, अवकाश और वर्तन। तमाम द्रव्यों की अपनी-अपनी अस्मिताएँ हैं। वे स्वाधीन हैं। आत्मनिर्भर हैं। अपने पाँव पर अवस्थित हैं। एक-दूसरे के अस्तित्व में एक-दूसरे का कोई Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002592
Book TitleDravyavigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyutprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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