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अणु या परमाणु की उत्पत्ति तो विभाजन से ही या भेद से ही होती है। जो चाक्षुष हैं वे भेद संघात से उत्पन्न होते हैं और अचाक्षुष हैं वे संघात से, भेद से और संघातभेद तीनों से उत्पन्न होते हैं। चाक्षुष का अर्थ है- चक्षुरिन्द्रिय का विषय।
सूक्ष्म और बादरः-पुद्गल के सूक्ष्म और बादर की अपेक्षा दो भेद होते हैं। साधारणतः बड़ा कहते हैं स्थूल को तथा सूक्ष्म कहते हैं छोटे को, परंतु यह सामान्य अवस्था के अर्थ है, अन्यथा कई बार ऐसा होता है कि बड़ा पदार्थ सूक्ष्म हो सकता है और छोटा स्थूल, जैसे खसखस (पोस्ता) का दाना छोटा है और जल की बूंद बड़ी, परंतु पानी वस्त्र से पार हो जाता है और दाना नहीं। वायु शीशे में से पार नहीं होती पर प्रकाश पार हो सकता है। अतः एक दूसरे में से पार करने की शक्ति को ध्यान में रखकर सूक्ष्म और स्थूल का विश्लेषण करना चाहिये।
जो पदार्थ किसी दूसरे पदार्थ को न रोक सके, न किसी से स्वयं रूके अथवा एक दूसरे में समाकर रह सके या एक दूसरे से पार हो जाय उसे सूक्ष्म कहते हैं तथा जो पदार्थ दूसरे को रोके अथवा दूसरे से रूक जाय और एक दूसरे में न समा सके, वह स्थूल कहलाता है।
इसमें भी तारतम्य होता है। कोई पदार्थ पूर्णतः सूक्ष्म हैं तो कोई कम स्थूल हैं। जो किसी से भी किसी प्रकार न रूके, वह पूर्ण सूक्ष्म हैं। जो हर पदार्थ से रूके वह पूर्ण स्थूल है।
___ अंग्रेजी भाषा में सूक्ष्मता और स्थूलता का अनुमान लगाने के लिये इन्हें तीन विभागों में विभाजित किया है जैसे Positive degree, Comparative degree and superlative degree.
पुद्गुल के पर्यायः-शब्द, अन्धकार, उद्योत, प्रभा, छाया एवं आतप ये सभी पुद्गल की पर्याय है।
तत्वार्थ सूत्र के अनुसार शब्द, बंध, सूक्ष्म, स्थूल, संस्थान, भेद, अंधकार,
1. त.सू. 5.27 2. त.सू. 5.28 3. ठाणांग 2.229 4. जैन दर्शन में पदार्थ विज्ञान ले. जिनेन्द्रवर्णी पृ. 155 5. द्रव्य प्रकाश 2010 एवं उत्तराध्ययन 28.12
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