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लंबाई, चौड़ाई और मोटाई है।
परमाणु अत्यंत सूक्ष्म होते हैं यद्यपि वे इन्द्रियों से जाने जा सकते हैं, परंतु देखे नहीं जा सकते, परंतु वे मूर्तिक है क्योंकि मूर्तिक का इन्द्रियों के माध्यम से देखना, यह तो मात्र समझाने के लिये लक्षण किया गया है। वास्तविक नहीं।
परमाणु का स्वभाव चतुष्टयः-परमाणु चार प्रकार के होते हैं। द्रव्य परमाणु, क्षेत्र परमाणु, काल परमाणु और भाव परमाणु।
द्रव्य परमाणु चार प्रकार का होता है जैसे-अच्छेद्य, अभेद्य, अदाह्य और अग्राह्य। क्षेत्र परमाणु भी चार प्रकार का होता है-अनर्द्ध, अमर्थ्य, अप्रदेश और अविभाज्य। काल परमाणु भी चार प्रकार का होता है-अवर्ण, अगंध, अरस और अस्पर्श। भाव परमाणु भी चार प्रकार का होता है-वर्णवान्, गंधवान्, रसवान, स्पर्शवान।'
पुद्गल के लक्षणः-तत्वार्थ सूत्र में उमास्वाति ने पुद्गल का लक्षण स्पर्श रस, गंध और वर्ण युक्त किया है।'
उत्तराध्ययन सूत्र में पुद्गल को पाँच लक्षण युक्त कहा है-वर्ण, गंध, रस, स्पर्श और संस्थाना'
वर्णः-वर्णपाँच प्रकार का होता है-काला, नीला, लाल, पीला, और सफेद।' गंधः-गंध दो प्रकार की होती है। सुगंध और दुर्गंधा'
रसः-रस (स्वाद) पाँच प्रकार का होता है- तीखा, कडवा, कसैला खट्टा और मीठा।
स्पर्शः-स्पर्श आठ प्रकार का होता है- कठोर, कोमल, हल्का, भारी, ठंडा, गरम, चिकना और रूखा।' 1. भगवती 20.5 16-19
2. त.सू. 5.23 एवं द्रव्य प्रकाश 2.4 3. उत्तराध्ययन 36.15 4. उत्तराध्ययन 36.16 5. उत्तराध्ययन 36.17 6. उत्तराध्ययन 36.18 7. उत्तराध्ययन 36.19.20
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