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________________ १२५७) का थूलिभद्दफाग, धर्मसूरि (वि०सं० १२६६ ) का जम्बूस्वामीचरित्र, अभयतिलक (वि०सं० १३०७ ) का महावीररास, जिनप्रभसूरि का पद्मावती देवी चौपई और रल्ह का जिनदत्त चौपई विशेष उल्लेखनीय ग्रन्थ हैं। हिन्दी साहित्य के मध्यकाल में भी जैनाचार्यों ने प्रबन्ध, चरित कथा, पुराण, रासा, रूपक, स्तवन, पूजा, चउपई, चूनड़ी, फागु, बेलि, बारहमासा आदि सभी प्रकार का साहित्य सृजन किया । साहित्यकारों में बनारसीदास, द्यानतराय, कुशललाभ, भूधरदास, दौलतराम, रायमल्ल, जयसागर, उपाध्याय, सकलकीर्ति, लक्ष्मीवल्लभ, रूपचन्द पाण्डे, भैया भगवतीदास, वृन्दावन, ब्रह्मजयसागर, देवीदास, ठकुरसी आदि शताधिक जैन कवियों ने हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। रहस्यभावना की दृष्टि से यह काल दृष्टव्य है । १ ९१ इसी प्रकार बंगला, उड़िया, आसमिया, पंजाबी आदि आधुनिक भारतीय भाषाओं में भी जैन साहित्य की विभिन्न परम्परायें उपलब्ध होती हैं। उन्होंने अपनी क्षेत्रीय भाषाओं के विकास में पर्याप्त योगदान दिया है। इस प्रकार जैन साहित्य की परम्परा लगभग २५०० वर्ष से अविरल रूप से प्रवाहित होती आ रही है। उसमें सामयिक गतिविधियाँ और साहित्यिक तथा सामाजिक आन्दोलन के स्वर भी मुखरित हुए हैं। समीक्षात्मक दृष्टि से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि लगभग हर विधा के जन्मदाता जैनसाहित्यकार ही हुए हैं। उनके योगदान का लेखा-जोखा अभी भी शेष है। विद्वानों को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि समूचा जैन साहित्य प्रकाश में आ जाय तो निश्चित ही नये मानों की स्थापना और पुराने प्रतिमानों का स्वरूप बदल जायेगा । भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का यह अवदान सांस्कृतिक, दार्शनिक, भाषिक, साहित्यिक, आदि सभी क्षेत्रों में अनुपम रहा है। ये सारे क्षेत्र अपेक्षाकृत अभी कम ही अध्ययन के विषय हो सके हैं। शोधकों के लिए इसमें अपरिमित क्षेत्र है। साथ ही तुलनात्मक अध्ययन के लिए भी यहाँ सामग्री प्रभूत मात्रा में उपलब्ध है। विस्तारमय से यहाँ हम इस विषय को विराम दे रहे हैं। १. विशेष देखिए - मध्यकालीन हिन्दी जैन काव्य में रहस्यभावना, डॉ० पुष्पलता जैन का शोधप्रबन्ध | Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002591
Book TitleBharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Aavdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1999
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size4 MB
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