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विषय-सूची
१-३४
सांस्कृतिक अवदान
जैन संस्कृति और अध्यात्म १; श्रमण और ब्राह्मण संस्कृति २; सांस्कृतिक अवदान ४; धर्म की परिधि-अपरिमित मानवता ४; आत्मा ही परमात्मा है ८; आत्म-स्वातन्त्र्य ९; समतावाद १०; चारित्रिक विशुद्धि१२; अनेकान्तवाद १४; अहिंसा और अपरिग्रह १५; रत्नत्रय का समन्वित साधना १८; स्वाध्याय २०; उपयोग और भक्ति २१; सामाजिक समता २४; वैयक्तिक स्वातन्त्र्य
और कर्मवाद २५; दार्शनिक अवदान २५; कलात्मक अवदान २६; एकात्मकता और राष्ट्रीयता २८; लोक बोली प्राकृत का प्रयोग ३३।
३५-९१
साहित्यिक अवदान
भाषा और साहित्य ३५; प्राकृत भाषा और आर्यभाषाएँ३६; प्राकृत और छान्दस् भाषा ३८; प्राकृत : जनभाषा का रूप ३९; १. प्रथम पक्ष ३९; २. द्वितीय पक्ष ३९; प्राकृत का ऐतिहासिक विकासक्रम ४१; प्राकृत और संस्कृत ४२; अपभ्रंश और आधुनिक भारतीय भाषाएँ४३; प्राकृत साहित्य के क्षेत्र में ४४; १. प्राकृत जैन साहित्य४४; परम्परागत साहित्य ४५; अनुयोग साहित्य ४५; वाचनाएँ ४६; १. पाटलिपुत्र वाचना ४६; २. माथुरी वाचना ४७; वलभी वाचना ४७; श्रुत की मौलिकता४८; प्राकृत साहित्य का वर्गीकरण ४९; १. आगम साहित्य५०; अंग साहित्य ५०; १. आचारांग ५०; २. सूयगडंग५१; ३. ठाणांग ५१, ४. समवायांग ५१; ५. वियाहपण्णत्ति ५२; ६. नायाधम्मकहाओ; ८. अंतगडदसाओ ५३; ९.अणुत्तरोववाइयदसाओ ५३; १०. पण्हवागरणाई ५३ ११. विवागसुयं ५४; १२. दिट्ठिवाय ५४; उपांग साहित्य ५४; १. उववाइय ५४; २. रायपसेणिय ५४; ३. जीवाभिगम ५५; ४. पण्णवणा ५५; ५. सुरियपण्णत्ति ५५; ६. जम्बूदीवपण्णत्ति ५५; ७. चन्दपण्णत्ति ५५;
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