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________________ साहित्यिक अवदान साहित्य संस्कृति का उद्वाहक तत्त्व है। संस्कृति के हर कोने को साहित्य के अन्तस्तल में देखा जा सकता है। जैन साहित्य की विविधता और प्राञ्जलता में उसकी संस्कृति को पहचानना कठिन नहीं। जैनाचार्यों ने अपने आपको लौकिक जीवन से समरस बनाये रखा। इसके लिए उन्होंने प्राकृत और अपभ्रंश जैसी लोकभाषाओं किंवा बोलियों को अपनी अभिव्यक्ति का साधन स्वीकार किया। आवश्यकता प्रतीत होने पर उन्होंने संस्कृत को भी पूरे मन से अपनाया। यहाँ हम जैनाचार्यों द्वारा प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश तथा आधुनिक भारतीय भाषाओं में रचित साहित्य का एक अत्यन्त संक्षिप्त सर्वेक्षण प्रस्तुत कर रहे हैं जिसे हम उनका विशिष्ट अवदान कह सकते हैं। भाषा और साहित्य भाषा और साहित्य संस्कृति के अविच्छिन्न अंग हैं, उसके अजस्र स्रोत हैं। अभिव्यक्ति के साधनों में उनका अपना अनुपम स्थान है। समय और परिस्थिति के थपेड़ों में नया धर्म और नयी भाषा का जन्म होता है। समाज की बदलती दीवारें और उनकी अकथ्य कहानी को अचूक रूप से प्रस्तुत करने वाले ये दो ही प्रतिष्ठित रूप हैं- जिन्हें सदियों तक स्वीकारा जाता है। भाषा विचारों का प्रतिबिम्ब है, जिन्हें सुघढ़तापूर्वक कागद पर अंकित कर दिया जाता है। पाठक के लिए अनदेखी घटनायें सद्य: घटित-सी दिखाई देने लगती हैं। प्राकृत भाषाओं में लिखा साहित्य इसी प्रकार की अनुभूतियों और जिज्ञासाओं से आपूरित है। उनका हर पन्ना एक क्रान्तिकारी विचारधारा के विभिन्न पहलुओं से रंगा हुआ है। कहीं वह दकियानूसी और मूढ़ता से सने तथाकथित सिद्धान्तों का खण्डन करता हुआ दिखाई देता है तो कहीं संसार के घने पीड़ा भरे जंगलों में भटकते हुए प्राणी को सम्यक्-दृष्टि से सिञ्चित चिरन्तन अध्यात्म का सन्देश प्रचारित करते हुए नजर आता है। यज्ञ बहुल हिंसा-अहिंसा की परिभाषा बनाने वाली संस्कृति का विरोध भी यहाँ मुखरित हुआ है। अहिंसा की उस प्राचीन डगमगाती दीवार को तोड़कर नया प्रासाद खड़ा करने का उपक्रम इन दोनों भाषाओं Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002591
Book TitleBharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Aavdan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1999
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Culture
File Size4 MB
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