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________________ 16600000000000000000 1-6000 G686098909868609000000000000 हमें आज भी प्रतीति है कि यदि सद्गुरूओं के मार्गदर्शन से श्री भक्तामर स्तोत्र की आम्नाय अनुसार विधि होगी तो उसका चमत्कारिक फल अवश्य ही प्राप्त होगा, लेकिन इतना अवश्य ख्याल रखें कि जो भी विशेष आराधना करना चाहे वे अवश्य पूज्य गुरू भगवंतो के मार्गदर्शन में ही करें । आराधना-दर्शन में बहुत कुछ मार्गदर्शन दिया है, ऐसा लगता है, फिर भी जब आप आराधना करने का प्रारंभ करेंगे तब अनेक प्रश्न एवं परिस्थितियों आपके समक्ष उपस्थित होंगी। इन प्रश्नों का निराकरण एवं समाधान सद्गुरू से ही होगा । दुसरी बात यह भी ख्याल रखें कि जब अत्यंत आवश्यकता हो, तव ही कल्पों का अनुसरण करें, क्योंकि विशेष परिस्थितियों में मन में जो एकाग्रता सधती है, वे केवल कुतूहल से आराधना करने में नहीं उभरती है | मंत्र का प्रमुख साधन मन ही है । अतः मन को बहुत गहराई से समझना चाहिए और सच्चे मन से ही आराधना का आरंभ करना चाहिए । “आराधना-दर्शन विभाग” आपको अवश्य ही भक्तामर के चमत्कारों की अनुभूति करायेगा । लेकिन हमारा लक्ष्य यह है; कि आप मंत्र साधना से केवल मंत्र पर ही नहीं, केवल भक्तामर स्तोत्र पर ही नहीं, केवल आदीश्वर परमात्मा पर ही नहीं, केवल वीतरागी पर ही नहीं... लेकिन आप "जिनवाणी" के प्रति भी दृढ श्रद्धालु बनें जिनवाणी की द्दढ श्रद्धा आपको मंत्र के चमत्कारों से अहिंसा संयम एवं तप की सिद्धि के प्रति अनन्य भाव से गति करायेंगी। आप आत्मा-आनंद के इतने अनुरागी बन जाओगे कि यश-कीर्ति, तिरस्कारअपमान को सहज रीति से सहन एवं वहन कर पाओगे | जन्म-मृत्यु आपके लिए मात्र घटना बनेगी । पर, यह घटना न सुखद होंगी न दुःखद होगी । ये घटनायें आपको केवल कालक्रम एवं कालधर्म ही लगेगी । समस्त विश्व और विश्व की समस्त घटनायें आपके लिए एक दृश्य बन जायेंगी, जो दृश्य में आपको कुछ भी सुखद या दुःखद नहीं लगेगा। हमारी आत्मा ज्ञाता है, अतः समस्त विश्व हमारी नजर में ज्ञेय रूप में आयेगा । औत्सुक्य एवं विस्मय; अज्ञान और अधैर्य से ही पैदा होते हैं । यह औत्सुक्य एवं अधैर्य जिनवाणी के प्रभाव से नष्ट हो जायेंगे । विलाप एवं विषाद भी अज्ञान एवं अधैर्य की पैदाश है । श्री भक्तामर स्तोत्र की आराधना आपको विलाप एवं विषाद से पर ले जायेंगी । आपका ज्ञान एवं धैर्य का खज़ाना खुल जायेगा । आराधना दर्शन द्वारा आपको इस ओर आकृष्ट करने का एक नम्र प्रयास है। श्री महाप्रभाविक भक्तामर स्तोत्र ने हमें क्या-क्या चमत्कार नहीं दिखाये हैं...? • पूज्य गुरुदेव की निश्रा की अपूर्व एवं ऐतिहासिक शासन प्रभावनायें... ! • सालों का लकवा दो दिन में ही ठीक हो जाना... ! • भयंकर कुष्ठ रोग मिट जाना... • सरकार की ओर से प्रायः निर्णीत एवं घोषित सजायें भी टल जाना.. ! भयंकर हाथी जैसे प्राणी का भी प्रेम से झककर वापस लौट जाना.... 989eeeeeeeeeeo ऐसे-ऐसे तो कई चमत्कार-अनुभूतियाँ हमने प्रत्यक्ष देखी है । अनुभूत की है । लेकिन, हमें तो भक्तामर स्तोत्र परम आनंद प्रदान कर रहा है जिन भक्ति का... प्रतिदिन सुबह जो क्रम समूह भक्तामर पाठ का चलता है, वह हमारा परम आनंद है । पाठकों को यह भी अनुरोध है कि यदि आपको कोई विशेष कल्प की आराधना का मन न भी हो.. कोई चमत्कारिक शक्ति का प्रत्यक्ष न भी करना हो तो भी आप भक्तामर का दैनिक पाठ तो अवश्य करें । इस स्तोत्र के पाठ के लिए भी आपको बहुत कुछ मार्ग-दर्शन इस आराधना दर्शन से प्राप्त हो सकेगा । हमें प्रसन्नता है कि हम भक्तामर के लिए-भक्तामर की आराधना-साधना के लिए आपको इस ग्रंथ में बहुत कुछ दे पाये हैं । इस महान ग्रंथ के लेखन एवं संपादन में मुझे पूज्य मानतुंगसूरीश्वरजी म.सा. से लेकर प्राचीन टीकाकार-600000000000000000-9 vain faucation tribimational 200.09 For fivate & Personal use only 3 fariau jaimetajary.org Jain Education International 207004 Forgivate & Personal Use Only Silaw.jainelinary.org
SR No.002588
Book TitleBhaktamara Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyashsuri
PublisherJain Dharm Fund Pedhi Bharuch
Publication Year1997
Total Pages436
LanguageSanskrit, English, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size50 MB
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