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________________ मृगशीर्ष नक्षत्र में गुरुवार हो तो उसी दिन मंत्र के जाप का प्रारंभ करें। जिस स्थान में या घर में जहाँ भी जाप करना हो, उसी स्थान को चूने से स्वच्छ कराने के बाद उसी स्थान के दाहिनी बाजु लक्ष्मी देवी की मूर्ति पधरावें । उसके सामने प्रतिदिन एक हजार आठ दफे जाप करना और उतने ही (१००८) सोन चंपा के पुष्प चढावें । इसी तरह एक लाख जप करने के बाद महालक्ष्मी देवी प्रसन्न होकर साक्षात् दर्शन देती है और साधक के सर्व मनोवांछित पूर्ण करती है । इसी ग्रंथ में अन्यत्र विस्तार से मंत्र साधना का विधान दिखाया गया है। मंत्र- १७ “ क्षुद्रोपद्रवनाशक मंत्र " “ॐ नमो ऋषभाय मृत्युञ्जयाय सर्वजीवरक्षणाय परमब्रह्मणेऽष्टमहाप्रातिहार्यसहिताय - नाग-भूत-यक्ष वशंकराय सर्वशान्तिकराय मम शिवं कुरु कुरु स्वाहा ||" इस मंत्र के जाप के पूर्व सत्ताईसवीं गाथा की माला फेरनी चाहिए। बाद में इस मंत्र का जाप इक्कीस दफे करना । इस जाप के प्रभाव से क्षुद्र- उपद्रव नाश होते है और मनोभिलाषा की प्राप्ति होती है । • मंत्र १८ " सर्व सिद्धिकर बिद्या" "अरिहंत सिद्ध आयरिय उवज्झाय सव्वसाहु सव्वधम्मतित्थयराणं ॐ नमो भगवईए सुयदेववाए संतिदेवयाणं सव्वपवयण देववाणं दण्डं दिसापालाणं पंचण्डं लोगपालाणं ॐ ह्रीं अरिहंतदेवं नमः ॥" इस मंत्र के जाप के पूर्व इक्कतीसवीं गाथा की माला फेरनी चाहिए । बाद में इस विद्या का एक सौ आठ दफे जाप करने से वाद में व्याख्यान में आदि अन्य कार्यो में सर्व सिद्धि होती है | में विजय होता है। विशेष रूप से सर्प और चोर का भय दूर होता है। युद्ध - एक अन्य कल्प में दिखाया है कि इस मन्त्र से वस्त्र को अभिमंत्रित करके गाँठ बांधने से मार्ग में चोर-सर्प सिंह आदि का भय नहीं होता है ! दुष्ट पशु आ भी जाते हैं तो भाग जाते। यह विद्या भी अति प्राचीन एवं महाप्रभाविक है ! इस विद्या की भी बहुत साधु भगवंताने साधना की होगी ऐसा लगता है । • मंत्र - १९ “ श्री कलिकुंडस्वामी का मंत्र " "ॐ ह्रीं श्रीं कलिकुण्डदण्डस्वामिन्! आगच्छ आगच्छ आत्म मन्त्रान् रक्ष रक्ष परमन्त्रान् छिन्द छिन्द मम सर्वसमीहितं कुरु कुरु हुँ फट् स्वाहा ॥" श्री भक्तामर स्तोत्र की तीसवीं गाथा की माला फेरने के बाद इस मंत्र का बारह हजार श्वेत या लाल पुष्प से जाप करने से सर्व ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है । विशेष विधि :- पोष यदि दशम को (गुजराती मागशर वदि दशम) रविवार हो, तब इस मंत्र का जाप प्रारंभ करना चाहिए। श्री पार्श्वनाथ प्रभु की और श्री चक्रेश्वरी देवी की मूर्ति के समक्ष छ मास तक जाप करने से श्री चक्रेश्वरी देवी प्रत्यक्ष होती है और स्वप्न में वरदान देती है । xxxxxxxx Jain Education International 2010_04 ऐसे महान मंत्रो की सिद्धि करते समय अपने लक्ष्य की प्राप्ति के साथ मोक्षप्राप्ति का उदेश्य रखना ! तथा पिंडस्थ - पदस्थ ध्यान का अभ्यास करते रहना चाहिए । For Private & Personal Use Only रहस्य- दर्शन १९३ www.jainelibrary.org
SR No.002588
Book TitleBhaktamara Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyashsuri
PublisherJain Dharm Fund Pedhi Bharuch
Publication Year1997
Total Pages436
LanguageSanskrit, English, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size50 MB
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