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भक्तामर यंत्र - २९
तुोदयाद्रिशिरसीव सहस्ररश्मेः ॥२९॥ कप्पदुमव्वं सर्वसिद्धिर्नु नमः स्वाहा।”
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सिंहासने मणिमयूखशिखाविचित्रे
“ ँर्नु ह्रीँ ँ अहँ णमो घोरतवाणं।
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Bhaktamara Yantra-29
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ऋ ॠ ऌ ॡ “र्नु नमो नमिऊण पास विसहरफुल्लिंगमंतो विसहर विभ्राजते तव वपुः कनकावदातम् ।
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ऋद्धि- ॐ ह्रीँ अर्ह णमो घोरतवाणं ।
मंत्र-ॐ णमो णमिऊण पास विसहर पुंल्लिगमंतो विसहर नामक्खरमंतो सर्वसिद्धिमीहे इह समरंताणमण्णे जागई कप्पदुमव्व सर्वसिद्धिः ॐ नमः स्वाहा |
प्रभाव - नेत्र पीडा दूर होती है । कोई भी स्थावर विष लगता नहीं है ।
Acquiring immunity to poison and curing of eye disorders.
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