________________
भक्तामर यंत्र - २७
Bhaktamara Yantra - 27
को विस्मयोऽत्र यदि नाम गुणैरशेष “न ही अहँ णमो तत्ततवाणं।"
जं जं जं जं जं न | मो | भ
sty
स्वप्नान्तरेऽपि न कदाचिदपीक्षितोऽसि ॥२७॥ शत्रून् उन्मूलय उन्मूलय स्वाहा
जं जं जं जं जं
|
के पर F| व | ते । स
जं जं जं जं जं “नॆ नमो चक्रेश्वरी देवी चक्रधारिणी। स्त्वं संश्रितो. निरवकाशतया मुनीश!!
श्री | 4
|
bed bed poffline 2 elopelee hea
जा
ऋद्धि-ॐ ही अहँ णमो तत्ततवाणं । मंत्र-ॐ नमो चक्रेश्वरी देवी चक्रधारिणी चक्रेणानुकूलं साधय साधय शत्रूनुन्मूलयोन्मूलय स्वाहा । प्रभाव-शत्रु का उन्मूलन होता हैं, वह आराधक को कोई क्षति नहीं पहुंचा पाता ।
Making the enemy harmless.
128 Jain Education International 2010_04
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org