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CHITRA BANDH
OF VERSE NO. 26
ॐकार बन्धः
स्वस्तिक बन्धः
शोषणाय
ति हराय नाथ
उभ्यं नमो जिन
여와의 교
नायराह
जनभवोदधि
भावभुत्रिम
द धिशो ष णाय
의
भअभ
तुभ्यानम स्त्रि जगत:
रमेश्वर
अतितलामला
मल भूषणाय
तम्
Hdh
चतुर्दल-कमल बन्धः
दीपिका बन्धः
Lobo
हरायजाथ
भवी रवि..
मक्षितता
ततला
धिशाषणाय
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dobles
मवय
PADRIP
सौजन्य : श्रीमती शांतादेवी तेजपालजी पंड्या-बेंगलोर (माधवनगर) (सादडी)
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