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भक्तामर यंत्र - १९
Bhaktamara Yantra - 19
to
किंशर्वरीषु शशिनाऽहिन विवस्वता वा?
ने ही अहँ णमो विज्जाहराणं।'
ननननननन.
कार्य कियज्जलधरैर्जलभारनगै? ॥१९॥
नमः स्वाहा।" क्षं क्षं क्षं क्षक्षक्ष क्षं क्षं
ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं
रं रं रं रं
ने हाँ हाँ हूँ ह्रः यः क्षः ही युष्मन्मुखेन्दुदलितेषु तमस्सु नाथ!।
रं रं
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जा
ऋद्धि-ॐ ह्रीँ अर्ह णमो विज्जाहराणं ।
मंत्र-ॐ ह्रां ह्रीं हूँ हू: यः क्षः ही वषट् नमः स्वाहा । प्रभाव-अन्यों द्वारा प्रयुक्त मंत्र, जादू, टोना, टोटका, मूठ उच्चाटन आदि का भय नही रहता ।
Ensuring freedom from Occult practices.
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