SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऊँ ही श्री अर्ह श्री संभवनाथाय नमो नमः। श्री विजयवाडा नगर मंडण - महाप्रभावशाली || श्री विमलनाथ भगवान ।। ।। श्री संभवनाथ भगवान ।। ।। श्री विमलनाथ भगवान।। सेना नंदन सुखदायक ओ, संभव जिनवर वंदन हो, कर्मताप से दग्ध हुए जीवों के लिये तुम चन्दन हो। राजा जितारी के कुलदीपक, शुद्ध-बुद्ध और सिद्ध हुए, त्रिभुवन तिलक हे तीर्थंकर सारे जग में प्रसिद्ध हुए।। श्री विजयवाडा नगर में गच्छाधिपति प.पू. आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. एवं प.पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय जिनोत्तम सूरीश्वर जी म. सा. आदि श्रमण-श्रमणी परिवार ठाणा-17 के वि.सं. 2059 के वर्ष में ऐतिहासिक यशस्वी चातुर्मास की पावन स्मृति में श्री संभवनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ विजयवाडा (A. P.) के द्वारा ज्ञानरवाता से आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है।
SR No.002583
Book TitleSachitra Sushil Kalyan Mandir Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilmuni, Gunottamsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year2004
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Worship
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy