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स्वामिन्ननल्प-गरिमाणमपि प्रपन्नास्, त्वां जन्तवः कथमहो हृदये दधानाः? जन्मोदधिं लघु तरन्त्यतिलाघवेन, चिन्त्यो न हन्त महतां यदि वा प्रभावः।।१२।।
आश्चर्य है कि अनंतानंत गरिमायुक्त आपको अपने हृदय में धारण करके भव्यात्माएँ संसार-सागर को बहुत ही आसानीपूर्वक कैसे तिर जाते हैं ? ठीक ही कहा है-महापुरुषों का प्रभाव अचिन्त्य होता है।
આશ્ચર્ય થાય છે કે અનંતાનંત ગરિમાયુક્ત આપને પોતાના હૃદયમાં ધારણ કરીને ભવ્યાત્માઓ સંસાર-સાગરને ખૂબ જ સહેલાઈથી કેવી રીતે તરી જાય છે? સાચું જ કહ્યું છે- મહાપુરુષોનો પ્રભાવ અચિંત્ય હોય છે.
It is surprising how the worthy noble souls in this world cross the ocean of worldly existence with ease simply by installing your in finitely glorious image in their hearts? It is, indeed, rightly said -- the influence of great men is beyond imagination.
चित्र-परिचय ___ मेरू के सामन महिमावान प्रभु के हृदय में धारण करने वाला भक्त ऊर्ध्वगति में जाता है। मोह का थोड़ा सा भार ढोने वाला प्राणी संसार में डूब जाता है।
सा
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