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तभी ध्यान पूरा होने पर मुनि ने हाथ ऊँचा उठाया-"हे यूथपति ! क्रोध शांत करो। क्षमा करना सीखो। मुझे पहचानो ! खुद को पहचानो ! तुम पिछले जन्म में मरुभूति थे और मैं हूँ राजा अरविंद । अपने पूर्व सम्बन्धों को याद करो।" __मुनि की वाणी सुनकर यूथपति गहरे विचार में डूब गया। उसे जातिस्मरण ज्ञान हुआ। पिछला जन्म चित्रों की तरह उसकी स्मृति में उभरने लगा-'अरे ! मैं मरुभूति हूँ। यह मेरे उपकारी महाराज अरविंद हैं। ये सब यात्री अष्टापद तीर्थ की वन्दना करने जा रहे हैं।'
यूथपति ने सिर झुकाकर दोनों अगले पाँव झुकाकर मुनि को वन्दना की। सूंड़ उठाकर क्षमा माँगी। ____ ज्ञानी मुनि ने यूथपति को क्षमा का उपदेश दिया। कहा-"पूर्वजन्म में तू तत्त्वज्ञ ब्राह्मण था, श्रावक था। सब जीवों पर दया और प्रेमभाव रखता था। किन्तु मरते समय भाई कमठ के प्रति क्रोध आ जाने से मरकर हाथी बना है। अब क्रोध त्याग। क्षमा, सहनशीलता दया और करुणा भाव बढा।" ___ हाथी ने अपना पूर्वभव जाना तो उसने बार-बार मुनिराज से क्षमा माँगी। सार्थवाह के समक्ष सूंड़ उठाकर अपने अपराध की क्षमा माँगी-"मैंने आपको कष्ट दिया ! क्षमा करें ! आप धन्य हैं, जो अष्टापद तीर्थ की वन्दना करने जा रहे हैं।"
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क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ
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