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विश्वभूति उठा। उसने अपनी पत्नी व दोनों पुत्रों को बुलाकर कहा-“मैं अब तप-जप, ध्यान-साधना करके एकान्त जीवन जीना चाहता हूँ। परिवार की सब जिम्मेदारी तुम सँभालो।"
राजा की आज्ञा लेकर विश्वभूति मुनि बनकर आत्म-साधना करने लगा।
राजा ने विश्वभूति के बड़े पुत्र कमठ से कहा-"अपने पिता का राजपुरोहित पद अब तुम्हें सँभालना है।" ____ कमठ अहंकारी और दुराचारी स्वभाव का था। राजपुरोहित बनकर तो सब जगह अपनी मनमानी करने लगा। छोटा भाई मरुभूति बड़ा संतोषी और तपस्वी स्वभाव का था। हर समय मन्दिर व उपाश्रय में जाकर पूजा, उपासना और स्वाध्याय करता रहता था।
एक दिन नगर के प्रजाजनों ने राजा से शिकायत की-"महाराज ! हमने देखा है, राजपुरोहित कमठ रात के समय अड्डों पर जाकर जुआ खेलता है, शराब पीता है और दुराचार सेवन करता है।"
राजा ने कमठ को चेतावनी दी-"तू राजपुरोहित और ब्राह्मण होकर ऐसे कुकर्म करता है ? आज पहली बार का अपराध तो मैं क्षमा करता हूँ। भविष्य में दुबारा ऐसी शिकायत मिली तो कठोर दण्ड दिया जायेगा।"
क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ
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