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________________ मन्त्र-यन्त्र-साधनार्थ आवश्यक निर्देश मन्त्र-साधना या यन्त्र-साधना में प्रवृत्त होने से पूर्व साधक को कुछ अनिवार्य * बातों का ध्यान रखना श्रेयस्कर होगा। अन्यथा साधना में आने वाली बाधा एवं विपत्ति १ का वह स्वयं जिम्मेदार होगा । मन्त्र-यन्त्र-साधना का पथ सामान्य नहीं है, अतिविशिष्ट है। इसके लिए सर्वप्रथम आवश्यक है-विशिष्ट गुरु का चयन मन्त्र की ध्वन्यात्मकता का तात्त्विक ज्ञान गुरुमुख से ही सम्भाव्य है। पुस्तक या ग्रन्थ पढ़कर सीधे ही मन्त्र, यन्त्र या तन्त्र का प्रयोग करने में प्रवृत्त होना सुखावह नहीं है। ग्रन्थ मन्त्रादि से परिचित करवाते हैं, उचित मार्गदर्शन देते हैं किन्तु गुरु की गरिमा मन्त्र-साधना के लिए सर्वोपरि है। गुरु के बिना मन्त्र का ध्वन्यात्मक ज्ञान सम्भव नहीं है। साधक की योग्यता साधक की पात्रता, कर्त्तव्य-पद्धति एवं योग्यता के सन्दर्भ में कुछ बताना आवश्यक ? है। क्योंकि पात्रता, आचार-शुद्धि, कर्त्तव्य-परायणता, निष्ठा के बिना योग्यता नहीं आती है। योग्यता के बिना साधना के मार्ग में प्रविष्ट होना उचित नहीं है। सफलता * प्राप्त करने के लिए साधक को जिस आचरण पद्धति का अनुसरण करके योग्यता १ हासिल करनी चाहिए उनका निर्देश भी निम्न बिन्दुओं में समाहित है 1. साधक सात्त्विक भोजन करें तथा मिर्च-मसालों के प्रयोग से बचें। सात्त्विकता, * सफलता की कुंजी है। "जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन' इस उक्ति का सदैव ध्यान रहना चहिए। कब्ज या वायु-विकार आदि से मन अस्थिर होता है। आयम्बिल की तपश्चर्यापूर्वक साधना सर्वोत्तम है। आयम्बिल न हो। सके तो एकासणा का तप तो आवश्यक है। 2. मन चंचल है किन्तु साधना में मन की एकाग्रता नितान्त आवश्यक है। अतः __ मनोनिग्रह का विशेष ध्यान रखें। 3. जीवन में वाणी का सौंदर्य निखरे। एतदर्थ वाणी-संयम, मौन-साधना का * अभ्यास करें। सत्साहित्य पढ़कर साधु शब्द प्रयोग विधि से वाणी के सौंदर्य को निखारें। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002583
Book TitleSachitra Sushil Kalyan Mandir Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilmuni, Gunottamsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year2004
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Worship
File Size30 MB
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