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गृहस्थ-जीवन
पद्म
जन्म से पूर्व की परिस्थितियाँ
वि. सं. ५४२ पूर्व (ईस्वी सन् ५९९ पूर्व) भारतवर्ष के पूर्वांचल में, एक आलोक पुँज का जन्म हुआ था जिसका नाम था-“वर्द्धमान महावीर"।
ध्वजा भगवान पार्श्वनाथ के समय तक भारतवर्ष में राजतंत्र की प्रधानता थी, परन्तु गणतंत्र का स्वरूप भी प्रकट होने लग गया था। गणतंत्र के विकास की वह आदि बेला थी। उनके परिनिर्वाण के पश्चात् गणतंत्र राज का विस्तार होने लगा और वैशाली गणराज्यों की राजधानी के रूप में विकसित हुई। महाराज चेटक, जो भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा में दृढ़ आस्था रखते थे, वैशाली गणराज्य के अध्यक्ष थे। ___ गंगा के उत्तरी तट पर बसे लिच्छवी क्षत्रियों का एक विशाल पराक्रमी समूह गणराज्य का समर्थक था। उग्र, भोग, राजन्य, इक्ष्वाकु, लिच्छवि, ज्ञात तथा कौरव ये छह राजवंश इस गणराज्य के प्रमुख सदस्य थे, जिनके नौ राजा थे।
_ दूसरा गण समूह था-मल्ल। मल्ल गणतंत्र दो भागों में बँटा था-उत्तर-पश्चिम तथा दक्षिण-पूर्व। उत्तर-पश्चिम की राजधानी कशीनगरी थी तथा दक्षिण-पर्व की राजधानी पावा थी। मल्ल गणराज्य के नौ सरोवर राजा भी गणतंत्र के पक्के समर्थक थे। नौ मल्ल, नौ लिच्छवी, यों अठारह गणराजाओं का एक सुसंगठित गणराज्य था वज्जी संघ। वैशाली गणराज्य के लिच्छवी, सूर्यवंशी क्षत्रिय थे-जो मर्यादा पुरुषोत्तम राम के वंशज कहलाते थे। भगवान महावीर एवं युद्ध के उदय से पूर्व यह विदेह नाम से प्रसिद्ध थे, किन्तु धीरे-धीरे 'लिच्छवी नाम अधिक प्रचलित हो गया। फिर भी उनका सांस्कृतिक स्वरूप विदेह के रूप में ही सदा प्रसिद्ध रहा है। जैन साहित्य में महाराज चेटक को विदेहराज कहा गया है और चेटक राजा की बहिन त्रिशला विदेहदिन्ना कहलाती थी। इसलिए भगवान महावीर को भी विदेह सुकुमाल कहा गया है। ये उपनाम विदेह राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक गरिमा के प्रतीक हैं।
विमानवैशाली का राज-परिवार
वैशाली के उत्तर भाग में एक उपनगर था-कुण्डपुर सन्निवेश। कुण्डपुर के दक्षिण भाग में ब्राह्मणों की बस्ती थी, जिनका प्रमुख नायक था-ऋषभदत्त। देवानन्दा उसकी पत्नी थी। यद्यपि ऋषभदत्त वेद-वेदांग का विद्वान् धनाढ्य ब्राह्मण था, फिर भी भगवान पार्श्वनाथ का पक्का उपासक था।
कुण्डपुर के उत्तर भाग में ज्ञातवंशी क्षत्रियों की बस्ती थी इसलिये यह क्षत्रिय कुण्डपुर कहलाता था। | राशि सिद्धार्थ यहाँ के नायक थे। सिद्धार्थ के पराक्रम और अपार ऐश्वर्य के कारण उन्हें राजा और नरेन्द्र आदि सम्मानजनक सम्बोधनों से पुकारा जाता था। वैशाली गणराज्य में उनका अत्यधिक प्रभाव था। वैशाली गणाध्यक्ष चेटक की बहिन त्रिशला राजा सिद्धार्थ की रानी थी। चेटक का ज्येष्ठ पुत्र सिंहभद्र
निधूम (सिंह सेनापति) वज्जी गणतंत्र का प्रधान सेनानायक था। भगवान महावीर : गृहस्थ-जीवन
( १११ ) Bhagavan Mahavir : Life as Householder
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