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________________ बिहार जैन तीर्थ परिचायिका ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए मधुबन में श्वेताम्बर व दिगम्बर धर्मशालाएँ हैं। श्वेताम्बर धर्मशाला में भोजनशाला भी है। मधुबन में दिगम्बर एवं श्वेताम्बर समाज की लगभग एक दर्जन से अधिक धर्मशालाओं में डेढ़ हजार यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है। भोमिया जी भवन में यात्रियों को जैन धर्म सम्बन्धी साहित्य भी उपलब्ध होता है। धर्मशालाओं के निकट ही बाजार, बैंक आदि सुविधाएँ हैं। श्री धर्म मंगल जैन विद्यापीठ, फोन : 06532-32230 में 2-3 हजार यात्रियों के ठहरने की सुन्दर व्यवस्था है। धर्मशाला प्रांगण में ही श्री मधुवन पार्श्वनाथ का सुन्दर मन्दिर बना है। धर्मशाला में सभी आधुनिक सुविधाओं युक्त कमरों की व्यवस्था है। सुव्यवस्थित भोजनशाला की सुविधा है। विद्यापीठ के मुख्य संस्थापक आचार्य श्री पद्मप्रभ सूरि जी म. सा. हैं जो विगत 42 वर्षों से यहाँ विराजमान हैं। जिला जमुई मूलनायक: श्री महावीर भगवान, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : लछुआड़ से 5 कि.मी. दूर स्थित कुण्डघाट तलहटी से ऊपर पहाड़ी पर यह तीर्थ स्थित है। तलहटी से पहाड़ की चढ़ाई 5 कि.मी. है। लछुआड़ जमुई से 22 कि.मी. दूर है। जमुई स्टेशन से टैक्सी, बस आदि सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। तीर्थ पर भी टैक्सी उपलब्ध हो जाती है। यहाँ प्रातः 6 बजे से बसों का आवागमन प्रारम्भ हो जाता है। यहाँ से पटना 148 कि.मी., भागलपुर 135 कि.मी., काकंदी तीर्थ 40 कि.मी., पावापुरी 95 कि.मी., पेढ़ी : राजगिरी 115 कि.मी., शिखरजी 193 कि.मी. है। श्री जैन श्वेताम्बर सोसाइटी, परिचय : इस तीर्थ का इतिहास 24वें तीर्थंकर भगवान श्री महावीर स्वामी के पर्व से प्रारम्भ होता लछुआड़, वाया सिकन्दरा, है। इस पवित्र भूमि में वर्तमान चौबीसी के चरम तीर्थंकर श्री महावीर भगवान के च्यवन, जिला जमुई (बिहार) दीक्षा आदि तीन कल्याणक होने के कारण यहाँ की महत्ता है। प्रभ ने अपने फोन : 06345-22361 जीवनकाल के तीस वर्ष इस पवित्र भूमि में व्यतीत किये। तलहटी में दो छोटे मन्दिर हैं इन स्थानों को च्यवन व दीक्षा कल्याणक स्थानों के नाम से संबोधित किया जाता है। यहाँ प्रभ वीर की प्राचीन प्रसन्नचित्त प्रतिमा अति ही कलात्मक व दर्शनीय है । प्रभु प्रतिमा 2500 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। तलहटी से 5 कि.मी. दूर पहाड़ पर प्राकृतिक दृश्य अति मनोहारी है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिये 100 कमरों की सुविधायुक्त धर्मशाला है, जहाँ भोजनशाला की सुविधा प्रातः 12 बजे से 5 बजे तक है। पहाड़ पर पानी की पूर्ण सुविधा है। मूलनायक : श्री सुविधिनाथ भगवान। श्री काकन्दी तीर्थ मार्गदर्शन : यह तीर्थ काकन्दी ग्राम में स्थित है। निकटतम रेल्वे स्टेशन जमुई है जहाँ से टैक्सी, बस आदि की सुविधा है। जमुई यहाँ से 17 कि.मी. दूर है। लखीसराय यहाँ से 20 कि.मी., पेढ़ी : 00 कि.मी., क्षत्रियकुंड 40 कि.मी. तथा भागलपुर 100 कि.मी. दूर है। शिखरजी श्री जैन श्वेताम्बर से यहाँ की दरी 170 कि.मी. है। क्षत्रियकंड ठहरकर यहाँ आना ठीक रहता है। वहाँ सभी सोसायटी. प्रकार की व्यवस्थाएँ हैं। तीर्थ काकन्दी परिचय : यहाँ की प्राचीनता का इतिहास नवें तीर्थंकर श्री सुविधिनाथ भगवान से प्रारम्भ होता ग्राम पोस्ट काकन, है। श्वेताम्बर मान्यतानुसार भगवान श्री सुविधिनाथ के चार कल्याणक-च्यवन, जन्म, दीक्षा वाया जमई (बिहार) व केवलज्ञान इस पावन भूमि में हुए। सुविधिनाथ भगवान को पुष्पदन्त भी कहते हैं। मन्दिर में भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा अति कलात्मक है। मन्दिर की कलात्मकता भी दर्शनीय है। पूजा का समय प्रात: 9 बजे है। ठहरने की व्यवस्था : ठहरने के लिए मन्दिर के अहाते में ही 10 कमरों की धर्मशाला है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibre, 27
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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