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________________ दिल्ली दिल्ली जैन तीर्थ परिचायिका भारत की राजधानी दिल्ली ऐतिहासिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। प्राचीनकाल से ही दिल्ली का विशेष महत्त्व रहा है। मुगल शासकों की केन्द्र नगरी रही दिल्ली आज पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। देश-विदेश के पर्यटक यहाँ की मुगल कला शैली को निहारकर भाव विभोर हो जाते हैं। नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली एवं हजरत निजामुद्दीन रेल्वे स्टेशनों से सम्पूर्ण देश हेतु रेल-सेवा उपलब्ध है। पालम हवाई अड्डे से देश-विदेश के सभी प्रमुख स्थलों हेतु वायुयान-सेवा उपलब्ध है। अंतर्राज्यीय बस अड्डे से हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से बस मार्ग द्वारा सम्पर्क में है। राजधानी होने के कारण सम्पूर्ण भारत से व्यापारी, पर्यटक आदि के आवागमन को ध्यान में रखते हुए यहाँ हर स्तर के होटल, धर्मशालाओं, गेस्ट हाउस आदि की सम्पूर्ण सुविधाएँ उपलब्ध हैं। कण्डकटेड टूर द्वारा दिल्ली का भ्रमण किया जा सकता है। ITDC, E Block कनाट प्लेस, नई दिल्ली से तथा भारत सरकार टूरिस्ट ऑफिस 88 जनपथ, नई दिल्ली से सम्पर्क कर इसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है। नई दिल्ली स्टेशन पर भी टूरिस्ट विभाग के ऑफिस से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। शहर में बस, टैक्सी, ऑटो आदि सभी साधन सुगमता से उपलब्ध हैं। दिल्ली में कुतुबमीनार से लगभग 3 कि.मी. आगे महरौली गाँव में मणिधारी दादागुरु श्री महरौली दादावाड़ी जिनचन्द्र सूरि जी की भव्य सुन्दर दादावाड़ी स्थित है। यहाँ दादावाड़ी में अत्यंत सुन्दर छोटे-छोटे मन्दिरों का कृत्रिम पर्वत श्रृंखला पर निर्माण किया गया है। यहाँ दर्शनार्थ पेढ़ी : यात्रियों का आवागमन होता रहता है। श्री मणिधारी जिनचन्द्र सूरी शहर की भागदौड़ से दूर यहाँ का शान्त सुरम्य वातावरण मन को असीम शान्ति प्रदान जैन मन्दिर दादावाड़ी, करता है। यहाँ ठहरने हेतु सुन्दर व्यवस्था है। एक कैन्टीन भी यहाँ है। भोजन हेतु पूर्व महरौली, नई दिल्ली-110030 सूचना देनी पड़ती है। फोन : 696140. महरौली में ही प्रसिद्ध कात्यायनी शक्तिपीठ है। जिसे देखने के लिए देश-विदेश से हजारों 6857541 लोग आते हैं। पूनम के दिन मन्दिर की मूल अधिष्टायक देवी के दर्शन करने बहुत भीड़ उमड़ती है। इसी के पास श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ का अध्यात्म साधना केन्द्र बना है। जहाँ प्रेक्षाध्यान सम्बन्धी प्रशिक्षण दिया जाता है। साधकों के आवास आदि की सुन्दर सुविधा युक्त व्यवस्था है। दर्शनीय स्थल : (1) कुतुबमीनार-दिल्ली शहर से 14 कि.मी. दक्षिण भाग में स्थित मुगलशासक कुतुबुद्दीन द्वारा प्रारम्भ एवं इल्तुनमिश द्वारा पूर्ण की गयी प्रसिद्ध मीनार कुतुबमीनार स्थित है। पास में ही लौह-मीनार भी दर्शनीय है। (2) लक्ष्मीनारायण मन्दिर-कनाट प्लेस के निकट ही राजा बलदेव बिड़ला द्वारा स्थापित लक्ष्मीनारायण मन्दिर अत्यन्त दर्शनीय है। (3) जयपुर के महाराजा द्वारा निर्मित जंतर मंतर कनाट प्लेस के निकट ही है। संसद भवन, राष्ट्रपति भवन की भव्यता देखते ही बनती है। शीतकाल में राष्ट्रपति भवन के उद्यान के गुलाबों की सुन्दर मनोहर प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। जनवरी-फरवरी में यहाँ पर्यटक अबाध रूप से आकर इस छटा को निहार सकते हैं। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.janglibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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