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________________ पंजाब, हिमाचल, जम्मू जम्मू-कश्मीर श्री जम्मू तीर्थ वैष्णो देवी Jain Educa on International 2010_03 जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री महावीर भगवान । मार्गदर्शन : दिल्ली से जम्मू के लिए सीधी रेल सेवा उपलब्ध है। काश्मीर जाने वाले यात्रियों को जम्मू होकर ही आगे जाना पड़ता है। सभी प्रकार की साधन सवारी यहाँ उपलब्ध हैं। देश के सभी प्रमुख शहरों से यहाँ रेल सेवा उपलब्ध है। 1 परिचय : राजा सम्प्रति के समय की मूलनायक जी की यह प्रतिमा है। यह प्रतिमा खंभात से लाकर यहाँ प्रतिष्ठित की गयी है। यहाँ मूलनायक जी के अतिरिक्त श्री पार्श्वनाथ भगवान, शान्तिनाथ भगवान एवं श्री ऋषभदेव भगवान की सुन्दर प्रतिमाएँ हैं। शहर में स्थित यह जिनालय सुन्दर एवं दर्शनीय है । ठहरने की व्यवस्था : यहाँ यात्रियों हेतु सुन्दर एवं उत्तम व्यवस्था है । जम्मू शहर मन्दिरों का शहर कहा जाता है। यहाँ रघुनाथ मन्दिर अत्यंत दर्शनीय है। हर ओर सुन्दर कलात्मक मन्दिरों को देखा जा सकता है। जम्मू में शहर से 4 कि.मी. दूर तावी नदी के निकट शैलशिखर पर बाहू दुर्ग भी दर्शनीय है। रामनगर दुर्ग में दीवारों पर चित्रकारी अत्यंत लुभावनी है। दिल्ली, पुणे, कोलकाता, मुम्बई सभी स्थानों से यहाँ रेल सेवा तथा वायु मार्ग सेवा उपलब्ध है। जम्मू में अनेक होटल एवं धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं। स्टेशन पर ही वैष्णो देवी के लिए टैक्सी मिल जाती है। धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला श्रीनगर कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित है। जम्मू के निकट कटरा-वैष्णोदेवी हिन्दुओं का पवित्रतम तीर्थ है। जम्मू से 45 कि.मी. दूरी पर कटरा तक बस, कार, टैक्सी सभी वाहन जाते हैं। कटरा में ठहरने हेतु अनेक होटल हैं। कटरा से गंगा तट से ऊपर 12 कि.मी. की पैदल पहाड़ की चढ़ाई कर भवन पहुँचकर माँ वैष्णो देवी के दर्शन किये जा सकते हैं। दर्शन हेतु नवरात्र में तो कई-कई दिन इंतजार करना पड़ता है। नीचे कटरा से ही ऊपर के लिए रूम, कम्बल आदि बुक किये जाते हैं। चढ़ाई के आधे रास्ते में अर्थात् 6 कि.मी. पर अर्धकुमारी के दर्शन किये जाते हैं। वहाँ से हाथी मत्था तक कठिन चढ़ाई है। 3 कि.मी. आगे सांझी छत आने पर आगे ढलान का रास्ता है। भवन से 2 कि.मी. ऊपर भैरव का मंदिर है। भवन से दर्शन कर लौटते समय भैरव मंदिर होते हुए दर्शनार्थी वापिस आते हैं। नीचे कटरा में घोड़े, डोली आदि साधन उपलब्ध हैं। पैदल जाने वाले यात्रियों हेतु सामान आदि के लिए पिट्ठू मिलते हैं जो छोटे बच्चों को भी अपने कंधों पर ले जाते हैं। 12 कि.मी. की चढ़ाई मार्ग अत्यन्त साफ सुथरा है व जगह-जगह स्टॉल आदि उपलब्ध हैं। चारों ओर पहाड़ी का मनोरम वातावरण है। श्रीनगर, अमरनाथ, सोनमर्ग आदि दर्शनीय स्थलों पर आतंकवाद के कारण अत्यधिक सुरक्षा व्यवस्थाओं के चलते पर्यटकों को थोड़ी परेशानी उठानी पड़ सकती है। रास्ते में जगह-जगह चैंकिंग से गुजरना पड़ता है। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
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