SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 174
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुजरात श्री अनस्तु तीर्थ पेढ़ी : श्री अनस्तु तीर्थ पेढी अनस्तु, ता. करजन, जि. बड़ौदा (गुजरात) फोन : (02666) 32225 | जैन तीर्थ परिचायिका मूलनायक : श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ । मार्गदर्शन : यह स्थान भरूच और बड़ौदा के बीच में है। बड़ौदा से 40 कि.मी. की दूरी पर तथा भरूच से 44 कि.मी. की दूरी पर यह नया तीर्थस्थान है। परिचय : श्री शंखेश्वर प्रभु की प्रतिमा 1200 वर्ष पुरानी है। इस तीर्थ की ओर से मियागाम में एक अत्याधनिक पांजरापोल (गोशाला) चलाई जाती है। जिसमें 1400 जानवरों की देखभाल होती है। इस गोशाला का वातावरण बहुत ही धार्मिक है। यहाँ रोज सुबह भक्तामर की कैसेट लगाई जाती है। पशुओं को रखने की व्यवस्था है, उनके नहाने के लिए बड़ा हौज को बनाने के लिए पूना निवासी श्रीमती गोमतीबेन चुन्नीलाल जी संघवी और नाशिक निवासी श्रीमती सुंदरबाई गोवर्धनदास जी शामसुखा इन्होंने दान दिया। जानवरों की देखभाल के लिए डॉक्टर आदि की व्यवस्था है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ धर्मशाला और भोजनशाला की अच्छी व्यवस्था है। श्री दर्भावती तीर्थ (डभोई तीर्थ) पेढ़ी : देवचंद धरमचंद श्वेताम्बर जैन पेढी . जैन वागा, मु. पो. डबोई, जि. बड़ौदा-391 110 (गुजरात) फोन : 02663-52313, 52150, 52218 मूलनायक : श्री लोढण पार्श्वनाथ भगवान, श्यामवर्ण, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : बड़ौदा से 36 कि.मी. दूरी पर यह तीर्थस्थान है। यहाँ डभोई स्टेशन पर टैक्सी एवं रिक्शा उपलब्ध है। जहाँ से हर समय बस और टैक्सी उपलब्ध रहती है। डभोई शहर में भी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। अनस्तु तीर्थ यहाँ से 60 कि.मी. दूर है। परिचय : यहाँ की प्रभु प्रतिमा प्राचीन है। इसका अंतिम जीर्णोद्धार विक्रम संवत् 1990 में हुआ। बालू से बनी यह प्रतिमा दीर्घकाल तक जलघर में रहने पर भी बालू का एक कण भी प्रतिमा से अलग नहीं हुआ। जलगर्भ से प्रकट हुई यह प्रतिमा लौह प्रतिमा जैसी दिखाई देती है। अतः लोग इन्हें लोढन पार्श्वनाथ के नाम से पुकारने लगे। प्रसिद्ध जैन न्यायग्रन्थ के रचयिता श्री वादिदेव सूरिजी के गुरु श्री भुमिचन्द्र सूरीश्वर जी की यह जन्म भूमि है। यहाँ कुल 6 मंदिर है। 1. श्री लोढन पार्श्वनाथ जिनालय; 2. श्री नवा शांतिनाथ जिनालय; 3. जूना शांतिनाथ जिनालय; 4. श्री आदिश्वर जिनालय; 5. श्री श्यामला पार्श्वनाथ जिनालय; 6. श्री मुनि सुव्रत जिनालय। शहर के बाहर जिनालय तालाब के पास यशोवाटिका में है। जहाँ न्याय विशारद श्री यशोविजय जी म. सा. की चरणपादुका स्थित है। ठहरने की व्यवस्था : यात्रियों के ठहरने हेतु सुविधायुक्त धर्मशाला है। भोजनशाला प्रातः 8.30 से 2 बजे तथा सायं 4.30 से 6.30 बजे तक चालू रहती है। भाता प्रातः 8 से 11 बजे तक मिलता है। श्री बोडेली तीर्थ पेढ़ी : श्री परमार क्षत्रिय जैनधर्म प्रचारक सभा मु. पो. बोड़ेली, जि. बडोदरा (गुजरात) मूलनायक : श्री महावीर भगवान, श्वेतवर्ण, पद्मासनस्थ। मार्गदर्शन : हलोल से 43 कि.मी. दूर, दभोई से 40 कि.मी. तथा वडोदरा से 65 कि.मी. दूरी पर गाँव के मध्य में यह तीर्थस्थान है। यह स्थान खंडवा-बडौदा रेलमार्ग पर है। परिचय : इस मंदिर की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 2011 में आचार्य श्री विजयसमुद्रसूरीश्वर जी म. मितिमा निता ia के हाथों हुई। यहाँ पर हजारों आदिवासी परमार क्षत्रियों ने जैनधर्म को अंगीकार किया। उसमें से कुछ लोगों ने जैन साधु की दीक्षा भी ली है। यहाँ का नवनिर्मित जिनमंदिर कलात्मक एवं सुन्दर है। प्रभु प्रतिमा भव्य, शान्त एवं चमत्कारी है। ठहरने की व्यवस्था : यहाँ धर्मशाला, भोजनशाला है। 144 bucation International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002578
Book TitleJain Tirth Parichayika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year2004
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Pilgrimage
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy