SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ २१६ ] अर्थात् अभव्य भी कदाचित् यथाप्रवृत्तिकरण के निकट आनेपर श्रुतसामायिक का लाभ ले सकते हैं । तीर्थङ्करादि की पूजा सत्कार को देखकर बभव्य भी कभी-कभी श्रुतसमायिक का लाभ ले सकते हैं।' यद्यपि यथाप्रवृत्तिकरण, अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण के द्वारा भव्यात्मा ही सम्यक्त्व को प्राप्त कर सकती है, ( अभव्यात्मा नहीं। अभव्यात्मा निर्जरा धर्म के द्वारा आध्यात्मिक विकास कर सकती है परन्तु स्वभावतः अभव्यात्मा सम्यक्त्व प्राप्त नहीं कर सकती है । मागम में यह कथन है कि सम्यक्त्व के बिना संवर धर्म की प्राप्ति नहीं हो सकती है ।) तत्पश्चात् बाध्यात्मिक विकास करते हुए श्रुतादि सामायिक का लाभ ले सकते है परन्तु अभव्यारमा केवल यथाप्रवृत्तिकरण को प्राप्त कर रह जाता है अर्थात् अभयारमा शेष के दो करण ( अपूर्वकरण-अनिवृत्तिकरण ) को प्राप्त नहीं कर सकती है परन्तु यथाप्रवृत्तिकरण में प्रविष्ट जीव श्रुत सामाविक का लाभ ले सकते है। जैसा कि विशेषावश्यक भाष्य की टीका में कहा है अहंदादिविभूतिमतिशयवतीं दृष्ट्वा धर्मादेवंविधः देवत्वराज्यादयो वा प्राप्यन्ते' इत्येवमुत्पन्नबुद्धरमव्यस्यापि प्रन्थिस्थानं प्राप्तस्य, 'तविभूतिनिमित्तम्' इति शेषः ; देवत्व-नरेन्द्रत्व-सौभाग्यरूप-बलादिलक्षणेनाऽन्येन वा प्रयोजनेन सर्वथा निर्वाणश्रद्धानरहितस्याऽभव्यस्यापि श्रुतसामायिकमात्रस्य लामो भवेत्, तस्याऽप्येकादशांगपाठानुज्ञानात् । सम्यक्त्वादि लाभस्तु तस्य न भवत्येव । -विशेभा० गा १२१६-टीका अर्थात् तीर्थकरादिकी विभूति को देखकर तथा सत्कार-सम्मान राज्यादि की कामना से--सर्वथा मोक्ष की अभिलाषा के बिना भी वे अभयारमाएँ किंचित भी यदि इष्टकारी अनुष्ठान ( सद्-अनुष्ठान ) करती है तो उन्हें १-तित्थंकराइपूर्य, दट ठुअण्ण वा वि कज्जेण । सुयसामाइबलाहो होज्ज अभव्वस्स प्रठिम्मि । -विशेभा० गा १२१९ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002577
Book TitleMithyattvi ka Adhyatmik Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1977
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy