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________________ [ 9 ] लखनऊ के डा. ज्योति प्रसादजी जैन, जो एक अच्छे विचारक और चिंतन शोल व्यक्ति है, प्रस्तुत पुस्तक का आमुख लिख कर हमें अनुग्रहित किया है। इसके लिये उनके प्रति भी हम आभारी है । श्रीचन्दजी चोरडिया ने अनेक पुस्तकों का गहन अध्ययन कर यह पुस्तक लिखकर हमें प्रकाशन करने का मौका दिया, उनके प्रति भी हम आभारी है। अस्तु-इस महान और ऐतिहासिक कार्य के सुसंपादन और सम्पूर्ति में धनराशि की आवश्यकता होगी। जिसके लिये हम जैन समाज के हर व्यक्ति से साग्रह अनुरोध करते हैं कि इस कार्य को गतिशील रखने के लिये यथा सम्भव सहायता करे तथा मुक्त हस्त से धनराशि प्रदानकर समिति को अनुग्रहित करे । मेरे सहयोगी-जैन दर्शन समिति के उपमंत्री श्री मांगीलालजी लुणिया, कार्य वाहक सभापति-श्री ताजमलजी बोथरा, श्री केवलचन्दबी नाहटा, श्री धर्मचन्दजी राखेचा आदि के समिति सभी उत्साही सदस्यों, शुभचिंतकों एवं संरक्षकों के साहस और निष्ठा का उल्लेख करना मेरा कर्तव्य है। जिनकी इच्छाएँ और परिकल्पनायें मूर्तरूप में मेरे सामने आ रही है। श्री सुरजमलजी सुराना का भी हमें सहयोग रहा है। जैन दर्शन समिति ने जैन दर्शन का प्रचार करने के उद्देश्य से इसका मुख्य केवल १५) रखा है। जैन, जैनेसर सभी समुदाय से हमारा अनुरोध है कि'मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास' पुस्तिका का क्रय करके अंततः अपने समुदाय के विद्वानों, भंडारों में, पुस्तकालयों में, इसका यथोचित वितरण करने में सहयोग दे। मा प्रिन्टर्स तथा उनके कर्मचारी भी धन्यवाद के पात्र है जिन्होंने इस पुस्तक का सुन्दर मुद्रण किया है। आशा है प्रस्तुत पुस्तक का सर्वत्र स्वागत होगा। कलकत्ता भाद्र कुष्पा , संवत् २०१४ मोहनलाल बैद मंत्री जैन दर्शन समिति Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002577
Book TitleMithyattvi ka Adhyatmik Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1977
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size14 MB
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