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णीयागोय ( नीचगोत्र ) (२।४९) अवहेलना - पद
त
हाय ( तथागत) (३।६०) वीतरागता की साधना करने वाले
तिरिच्छ ( तिर्यक् ) (२।१३३) मध्य
तिविज्ज ( त्रिविध ) ( ३।२८) तीन विद्याओं को जानने वाला तुच्छय (तुच्छक) (२।१६७) साधना - शून्य तुट्ट ( त्रोटक ) ( ६।११२) तोड़ने वाला
तस ( स ) ( १।११९) गति करने में समर्थ प्राणी
थ
थंडिल ( स्थंडिल ) ( ८1७) जीवजन्तु - रहित स्थान
दण्ड (दण्ड ) (१।६९ ) हिंसक
दम (दम) (२०५९) शान्ति
दविअ ( द्रव्य, द्रविक) (१।१४६) देहासक्ति - मुक्त दिट्ठ ( दृष्ट ) ( ४1६) विषय
दीहलोग (दीर्घलोक ) (१।६७) अग्नि
दुक्ख (दु:ख) (२।६६) कर्मकर
दुगं छणा ( जुगुप्सा) (१।१४५ ) संयम
दुव्वसु (दुर्वसु ) (२।१६६ ) १. दरिद्र २. मोक्ष-गमन के लिए अयोग्य ३. साधना में
दुःखपूर्ण वास करने वाला
दूरालय ( दूरालगिक) (३।६३) दूर लगा हुआ
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ध
ध्रुवचारिणो (ध्रुवचारी ) ( २।६१) मोक्ष की ओर
धूयवाद (धुतवाद) (६।२४) कर्म - शरीर के प्रकम्पन की विशेष पद्धति, परित्याग
न
तूम (देशी शब्द ) ( ८|४ | २४ ) माया, वंचना का आवरण
आयारो
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