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आयारो
पढमो उद्देसो
नाणस्स निरवण-पदं १. ओबुज्झमाणे इह माणवेसु, आघाइ से णरे । २. जस्सिमाओ जाईओ सव्वओ सुपडिलेहियाओ भवंति, अक्खाइ से
णाणमणेलिसं। ३. से किट्टति तेसि समुट्ठियाणं णिक्खित्तदंडाणं समाहियाणं पण्णाणमंताणं इह मुत्तिमग्गं ।
४. एवं पेगे महावीरा विप्परक्कमंति।
अणत्तपण्णाणं अवसाद-पदं ५. पासह एगेवसीयमाणे अणत्तपण्णे ।
६. से बेमि-से जहा वि कुम्मे हरए विणिविट्ठचित्ते, पच्छन्न-पलासे,
उम्मग्गं से णो लहइ।
७. भंजगा इव सन्निवेसं णो चयंति, एवं पेगे
अणेगवेहि कुलेहिं जाया, रूहि सत्ता कलुणं थणंति, णियाणओ ते ण लभंति मोक्खं ।
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