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________________ आयारो इस प्रसंग में भगवान् ने उन्हें आलम्बन-सूत्र का उपदेश दिया। वह २६ वें सूत्र में उपलब्ध है । इष्ट आहार से शरीर का उपचय होता है और अनिष्ट आहार से उसका अपचय होता है । इसका दूसरा अर्थ यह है— चालीस वर्ष की अवस्था तक शरीर का उपचय होता है और उसके पश्चात् उसका अपचय होना प्रारम्भ हो जाता है। २१२ सूत्र - ३० ८. जन्म, जरा, रोग और मृत्यु — ये चार दुःख के मार्ग हैं। विरत के लिए ये मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं । सूत्र -३२ परिग्रह की सुरक्षा का भय बना रहता है, साधक के मन में भी उसकी सुरक्षा का भय ९. जैसे सांसारिक मनुष्य के मन में वसे ही वस्तु के प्रति मूर्छा रखने वाले बना रहता है । सूत्र - ३५ १०. ब्रह्मचर्य के तीन अर्थ हो सकते हैं - बस्ति संयम, गुरुकुलवास और आचार । शरीर भी परिग्रह है । जिसकी शरीर में आसक्ति होती है, वह बस्ति - संयम नहीं कर सकता। जिसकी शरीर और वस्तुओं में आसक्ति होती है, वह न गुरुकुलवास ( साधु- संघ ) में रह सकता है और न अहिंसा आदि चारित्र-धर्म का पालन भी कर सकता। यहां ये तीनों अर्थ घटित हो सकते हैं; फिर भी, तीसरा अर्थ अधिक संभावित है । सूत्र - ४१ ११. कुछ दार्शनिक ज्ञानवादी थे, कुछ भक्तिवादी और कुछ कर्मवादी (क्रियावादी) भगवान् महावीर इनमें से किसी भी एक को मोक्ष का मार्ग नहीं बतलाते थे । वे ज्ञान, भक्ति और कर्म - इन तीनों की समन्विति को मोक्ष - मार्ग बतलाते थे । उन्होंने साधना काल में ज्ञान और दर्शन की आराधना के साथ-साथ लम्बी-लम्बी तपस्याएं की थीं। क्योंकि तपस्या चारित्र का एक प्रमुख अंग है । भगवान् बुद्ध ने तपस्या को अस्वीकार किया था। उसकी चर्चा भगवान् महावीर के शिष्यों में भी हुई होगी। संभवत: कुछ शिष्यों ने तपस्या की प्रयोजनीयता में भी सन्देह किया होगा । वैसी परिस्थिति में भगवान् ने यह उपदेश दिया, ऐसा प्रतीत होता है । भगवान् ने बताया- मैंने अज्ञातचर्या ( साधना - काल ) में घोर तप किया था । मुझे उसका अनुभव है । यह व्यर्थ नहीं है । साधना में उसकी बड़ी उपयोगिता है । Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002574
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages388
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size5 MB
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