SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकाशकीय अपने विद्या रसिक पाठकों को एक मूल्यवान् योग ग्रंथ भेट करते हुए हमें बहुत प्रसन्नता हो रही है। योग विद्या बहुत प्रिय और प्राचीन है। पुरातन आचार्यों, ऋषि-महषियों ने इस विद्या पर विविध भाषाओं में अनेक ग्रंथों की रचना की है। जैन भ्रमण परम्परा में भी प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रश एवं कन्नड़ इत्यादि भाषाओं में योग ध्यानसाधना पर कितने ही ग्रंथ मिलते हैं। परन्तु वर्तमान में राष्ट्रभाषा हिन्दी में योगपरक ग्रंथ बहुत कम उपलब्ध हैं। प्रस्तुत ग्रंथ इसी कमी की पूर्ति का एक प्रशंसनीय प्रयास है। हमारे परम श्रद्धेय राष्ट्रसन्त उत्तरभारतीयप्रवर्तक भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी महाराज के प्रशिष्य एवं परम श्रद्धेय उपप्रवर्तक श्री अमरमनि जी म. के प्रथम अन्तेवासी डॉ० श्री सूक्त मनि शास्त्री जी म० ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डॉ० श्री धर्मचन्द्र जी जैन के निर्देशन में आचार्य हरिभद्रसूरि की अनुपम योग विषयक कृति योगबिन्दु का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन कर पी-एच० डी० (डाक्ट्रेट) की उपाधि प्राप्त की। मुनि श्री सुव्रत जी म० की योग में विशेष रुचि है उसी का शुभ परिणाम है यह योग ग्रंथ-योगबिन्दु के परिप्रेक्ष्य में जैनयोगसाधना का समीक्षात्मक अध्ययन । इसके लिए हम डॉ० श्री सुव्रतमुनि शास्त्री जी म० के आभारी हैं जिन्होंने अनथक परिश्रम करके यह ग्रंथरत्न तैयार किया है। इसके प्रकाशन में डॉ. श्रीयत धर्मचन्द्र जैन, निर्देशक पालि प्राकृत विभाग. कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रति भी हार्दिक कृतज्ञ हैं जिन्होंने इस ग्रंथ के संशोधन एवं प्रैस सम्बन्धी कार्य में निष्ठापूर्ण सहयोग प्रदान किया है। प्रकृत ग्रंथ के प्रकाशन में उदारमना जिन महानुभावों ने आर्थिक सहयोग प्रदान किया है, उनमें महातपस्विनी गुरुणी श्री हेमकुवर जी म० सा० की सुयोग्य सुशिष्या महासती साध्वी श्री रविरश्मि जी महाराज के माता श्रीमती प्रसन्नादेवी धर्मपत्नी श्री ला० रत्नलाल जी Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002573
Book TitleYogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuvratmuni Shastri
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy