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जा रहा है (जैनभारती १. वर्ष ७, अंक ३३, पृ. ५६५-६८ में प्रकाशित श्री अगरचन्दजी नाहटा के उत्तराध्ययन सूत्र और उसकी टीकाएं लेख पर आधृत)व्याख्या -ग्रन्थ कर्ता
रचनाकाल अवचूरि ज्ञानसागर
वि सं. १६४१ वृत्ति
कमल संयम || १५५४ दीपिका उदयसागर
॥ १५४६ लघुवृत्ति
खरतरतपोरत्नवाचक ॥ १५५० वृत्ति
कीर्तिवल्लभ ॥ १५५२ वृत्ति विनयहंस
॥ १५६७-८१ टीका
अजितदेवसूरि ॥ १६२८ दीपिका हर्षकुल
१६वीं शताब्दी अवचूरि अजितदेवसूरि टीका-दीपिका माणिक्यशेखर सूरि दीपिका लक्ष्मीवल्लभ १८ वीं शताब्दी वृत्ति-टीका हर्षनन्दन
वि.सं. १७११ वृत्ति
शान्तिभद्राचार्य टीका
मुनिचन्द्र सूरि अवचूरि ज्ञानशीलगणी अवचूरि
वि. सं. १४९१ बालावबोध समरचन्द्र बालावबोध कमललाभ
१६वीं शताब्दी बालावबोध मानविजय
वि. सं. १७४१ इनके अतिरिक्त भी कुछ वृत्ति-टीकाएं, दीपिकाएं, अवचूरियां उपलब्ध हैं। किसी में कर्ता का तो किसी में रचनाकाल का उल्लेख नहीं है। वे हैं
मकरन्द टीका वि. सं. १७५० दीपिका
वि. सं. १६३७
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