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विशेषण
तवोधणे (१८/४) पभूयरयणो (२०/२) महप्पणो (२१/१)
रायलक्खणसंजुए (२२/१) क्रिया
संस्कृत की क्रिया व्यवस्था जटिल है, प्राकृत की अत्यन्त सरल है। प्राकृत भाषा में क्रिया सम्बन्धी वैशिष्ट्य इस प्रकार हैं
१. प्राकृत में आत्मनेपद और परस्मैपद का भेद नहीं होता। २. प्राकृत में सभी धातुएं स्वरान्त ही होती हैं। ३. धातु द्वित्व नहीं होती। ४. दस लकार नहीं होते। ५. गण एक ही होता है।
आगमों में कहीं-कहीं संस्कृत का प्रभाव भी दृष्टिगोचर होता है। यथा
अब्रवीत् > अब्बवी
उत्तराध्ययन में तीनों पुरुषों के एकवचन, बहुवचन में क्रिया का प्रयोग हुआ हैजणयइ
(२९/७१) भवे
(३०/९) सुणेह
(३२/१) वयंति
(३२/७) वोच्छामि उपसर्ग
उपसर्ग का प्रयोग भी उत्तराध्ययन में कई जगह हुआ हैसमभिवंति (३२/१०) पदुट्ठचित्तो (३२/३३) विमुच्चई (३२/४३)
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उत्तराध्ययन का शैली-वैज्ञानिक अध्ययन
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