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उत्तराध्ययन के परिप्रेक्ष्य में स्वर-परिवर्तन
अ का परिवर्तन निम्न रूपों में प्राप्त है - अ > आ
चतुंरतः > चाउरते (११/२२)
नश्यन्ति > नासइ (१४/१८) अ > इ
महर्द्धिकः > महिड्डिए (१/४८) वज्र > वइर (१९/५०) गृहलिंगाः > गिहिलिंगे (३६/४९) मध्यमयोः > मज्झिमाइ (३६/५०)
चरमान्ते > चरिमते (३६/५९) अ > ई
ईषत्प्राग्भार > ईसीपब्भार (३६/५७) अ > उ
श्मशाने > सुसाणे (२/२०) सर्वज्ञः > सव्वण्णू (२३/७८) कथय > कहसु (२३/७९)
वक्ष्यामि > वुच्छामि (३६/४७) अ > ए
शय्याभिः > सेज्जाहिं (२/२२) अन्तःपुरम् > अंतेउरं (९/१२) अत्र > एत्थ (१२/१८) ब्रह्मचर्य > बंभचेर (१६/१)
अधः > अहे (३६/५०) अ > लुक्
अरण्ये > रणे (१४/४२) आ का परिवर्तन आ > अ
नास्ति > नत्थि (१४/१५) ताम्र > तंब (१९/६८)
उत्तराध्ययन की भाषिक संरचना
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