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५२. अभिज्ञानशाकुन्तल, ४/८ ५३. वक्रोक्तिजीवितम्, २/१९ ५४. वक्रोक्तिजीवितम्, २/२१, २२, २३ ५५. वक्रोक्तिजीवितम्, २/२४, २५ ५६. वक्रोक्तिजीवितम्।। २/२६ ५७. वक्रोक्तिजीवितम् २/२७, २८ ५८. वक्रोक्तिजीवितम्, २/२९ ५९. वक्रोक्तिजीवितम् २/३१ ६०. संस्कृत धातु कोष पृ. ६४ ६१. वक्रोक्तिजीवितम्, २/३२ ६२. वक्रोक्तिजीवितम् २/३३ ६३. संस्कृत-हिन्दी कोष, वामन शिवराम आप्टे पृ. ११०९ ६४. पाणिनि की अष्टाध्यायी १/४/५६ ६५. कालूकौमुदी, पूर्वार्ध सू. २९२ ६६. कालुकौमुदी, पूर्वार्ध सू. २९४ ६७. 'सप्तम्यास्त्रल्’ पाणिनि अष्टाध्यायी, ५/३/१० ६८. 'त्रपो हि-ह-त्थाः' तुलसी मंजरी, सू. ५९६ ६९. संस्कृत धातुकोष, पृ. ५० ७०. अमरकोष, पृ. ६३४ ७१. मेदिनी, पृ. १७९ श्लोक ११ ७२. वक्रोक्तिजीवितम्, ३/१ ७३. डॉ. नगेन्द्र, हिन्दी वक्रोक्तिजीवित भूमिका, पृ. ९४ ७४ (क) उत्तराध्ययन चूर्णि, पत्र २७ : अथ शुनीग्रहणं शुनी गर्हिततरा, न तथा श्वा।
(ख) बृहद्वृत्ति, पत्र ४५ : स्त्रीनिर्देशोऽत्यन्तकुत्सोपदर्शकः।
उत्तराध्ययन में वक्रोक्ति
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