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________________ ठासी/ठाही/ठाहीन होसी/होही/होहीन ==तुम दोनों ठहरे/तुम सब ठहरे । =तुम दोनों हुए/तुम सब हुए। .. तुझे ठासी/ठाही/ठाहीन = वे दोनों ठहरे/वे सब ठहरे । 20 होसी/होही/होहीम = वे दोनों हुए/वे सब हुए। ता तामो । ठासी/ठाही/ठाहीन । होसी/होही/होहीम =वे दोनों ठहरी/वे सब ठहरी । =वे दोनों हुई/वे सब हुई। ताउ भूतकाल के उत्तम पुरुष एकवचन व बहुवचन, मध्यम पुरुष एकवचन व बहुवचन तथा अन्य पुरुष एकवचन व बहुवचन में प्राकारान्त, प्रोकारान्त प्रादि क्रियाओं में सी, ही, होम प्रत्यय लगते हैं। 3. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं । 4. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं । ___ (i) अर्द्धमागधी में अकारान्त, प्राकारान्त, प्रोकारान्त क्रियाओं में सभी पुरुषों और सभी वचनों में इत्था और इंसु प्रत्यय जोड़कर भूतकाल बनाया जाता है, जैसे-ठाइत्था/ठाइंसु, होइत्था/होइंसु, (पिशल, पृष्ठ 752-753; घाटे, पृष्ठ 112)। (ii) इनके अतिरिक्त होत्था हुआ, प्राइंसु कहा, का प्रयोग भी मिलता है, (पिशल, पृष्ठ 755)। कुछ अन्य रूप उत्तम पुरुष एकवचन प्रकरिस्सं=किया अन्य पुरुष एकवचन प्रकासी-किया (अन्य रूपों के लिए देखें पिशल, पृष्ठ 751-753) । प्राकृत रचना सौरभ ] [ 35 ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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