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क्र.सं.
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30.
शब्द
सु
अच्छि
श्रि
श्रसरण
श्राउ
उदग
कट्ठ
कमल
कम्म
खोर
खेत्त
गारण
घय
छिक्क
जाणु
जीवर
जूझ
जोव्वर
णयरजरण
णह
णारण
तिरग
दहि
दारु
धरण
धन
पत्त
पुष्क
पोट्टल
बीन
प्राकृत रचना सौरभ ]
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नपुंसकलिंग संज्ञा शब्द
अर्थ
प्रसू
आँख
हड्डी
भोजन
आयु
जल
काठ
कमल का फूल
कर्म
दुध
खेत
गीत
घी
छींक
घुटना
जीवन
जुना
यौवन
नागरिक
आकाश
ज्ञान
घास
दही
लकड़ी
धन
धान
कागज
फूल
गठरी
बीज
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