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प्रथमा
बहू
द्वितीया
बहुं
तृतीया चतुर्थी
ऊकारान्त स्त्रीलिंग बहू एकवचन
बहुवचन बहूउ बहूप्रो, बहू
बहूउ. बहूओ, बहू बहूम, बहूमा बहूइ बहूए बहूहि, बहूहिँ, बहूहि बहूअ, बहूया, बहूइ. बहूए बहूण, बहूणं बहू अ, बहूपा, बहूइ, बहूए, बहुत्तो, बहूप्रो, बहूउ बहूहिन्तो, बहुत्तो बहूओ, बहुउ, बहूहिन्तो बहूसुन्तो बहूअ. बहूमा, बहूइ, बहूए बहूण, बहूणं
पंचमी
षष्ठी
सप्तमी
बहू, बहूया. बहूइ, बहूए
बहूसु, बहूसुं बहू उ, बहूप्रो, बहू
सम्बोधन
प्रथमा
द्वितीया
तृतीया चतुर्थी पंचमी
प्रात्मन्→प्रात्म→अप्प या प्रत्त एकवचन
बहुवचन अप्पा
अप्पा, अप्पाणो अप्पं
अप्पा, अप्पाणो अप्पणा, अप्पाणिया, अप्पणइया । अप्पेहि, अप्पेहि, अप्पेहि अप्पणो
अप्पाण, अप्पाणं अप्पागो
अप्पत्तो, अप्पाओ, अप्पाउ, अप्पाहिं, अप्पाहिन्तो, अप्पासुन्तो, अप्पेहि,
अप्पेहिन्तो, अप्पेसुन्तो अप्पणो
अप्पाण, अप्पाणं अप्पम्मि, अप्पे
अप्पेसु, अप्पेसुं अप्पा, अप्प
अप्पा, अप्पाणो
षष्ठी
सप्तमी
सम्बोधन
नोट-(i) अप्प के रूप देव की तरह भी चलेंगे ।
(ii) अप्पारण या अत्तारण के रूप भी देव की तरह चलेंगे ।
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प्राकृत रचना सौरभ
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