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पाठ 1
महं/हं/अम्मि =मैं क्रियाएं
हस-हँसना, रूस रूसना, जीव-जीना
सय=सोना, लुक्क-छिपना,
णच्च-नाचना जग्ग-जागना
वर्तमानकाल
हसमि/हसामि/हसेमि
= मैं हँसता हूँ/हंसती हूँ।
अम्मि
गच्चमि/णच्चामि/गच्चेमि
= मैं नाचता हूँ/नाचती हूँ।
अम्मि
हं अम्मि
लुक्कमि/लुक्कामि/लुक्केमि
= मैं छिपता हूँ/छिपती हूँ।
1. अहं/ह/अम्मि=मैं, उत्तम पुरुष एकवचन (पुरुषवाचक सर्वनाम)। 2. वर्तमानकाल के उत्तम पुरुष एकवचन में 'मि' प्रत्यय क्रिया में लगता है। "मि' प्रत्यय
लगने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'पा' और 'ए' भी हो जाता है । 3. कभी-कभी हसमि, हसामि आदि के स्थान पर हसं, गच्चं आदि रूप भी बनते हैं,
(हे. प्रा. व्या. 3-141)। 4. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं। अकर्मक क्रिया वह होती है जिसका कोई कर्म नहीं
होता और जिसका प्रभाव कर्ता पर ही पड़ता है। 'मैं हँसता हूँ'- इसमें हँसने का प्रभाव मैं' पर ही पड़ता है, अतः हँसने की क्रिया का कोई कर्म नहीं है। उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं। इनमें कर्ता अहं/ह/मम्मि के अनुसार क्रियाओं के पुरुष और वचन हैं । यहाँ अहं/ह/अम्मि उत्तम पुरुष एकवचन है तो क्रियाएँ भी उत्तम पुरुष एकवचन में हैं ।
प्राकृत रचना सौरभ ]
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