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________________ पाठ 65 - 1. निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए .- (क) (1) स्वामी रघुपति को नमन करते हुए उठता है । (2) कवि गुरु को प्रणाम करता हुआ बैठता है । (3) भाई उसको धिक्कारते हुए शरमाता है । (4) सिंह हाथी को मारते हुए डरता है । (5) वह मुनियो को सुनते हुए शोमता है । (6) वह दही खाते हुए सोता है । (7) तुम जल पीते हुए नाचते हो । (8) हम आँख देखते हुए मुड़ते हैं। (9) वह गांव के मुखिया की सेवा करते हुए थकता है। (10) वह मधु को चखता हुआ खुश होता है । (ख) (1) वह भक्ति करने के लिए उठता है । (2) तुम तृप्ति प्राप्त करने के लिए प्रयास करते हो । (3) वह पुत्री को कहने के लिए उत्साहित होता है। (4) हम रस्सी बाँधने के लिए प्रयत्न करते हैं । (5) वे गायों को देखने के लिए उठते हैं । (ग) (1) स्वामी रघु को नमन करके प्रसन्न होता है । (2) कवि गुरु को प्रणाम करके बैठता है । (3) वह भक्ति करके जीता है । (4) तुम तृप्ति प्राप्त करके खुश होते हो। (5) वे गायों को देखकर उठते हैं । प्राकृत रचना सौरभ ] [ 149 __Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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