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पाठ 64
वर्तमान कृदन्त हेत्वर्थक कृदन्त
द्वितीया सहित
सबंधक भूत कृदन्त
(पूर्वकालिक क्रिया)
प्राकृत में (i) भोजन खाता हुआ, गाँव जाता हुआ आदि भावों को प्रकट करने के लिए द्वितीया-सहित वर्तमान कृदन्त का प्रयोग किया जाता है । (ii) 'भोजन खाने के लिए', 'गांव जाने के लिए' आदि भावों को प्रकट करने के लिए द्वितीया-सहित हेत्वर्थक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। (iii) 'भोजन करके', 'गाँव जाकर' आदि भावों को प्रकट करने के लिए द्वितीया सहित संबंधक भूत कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। ये तीनों कृदन्त क्रियाओं से बनाए जाते हैं। वर्तमान कृदन्त शब्द विशेषण का कार्य करते हैं तथा अन्तिम दोनों (हे.कृ. और सं.कृ.) अव्यय का काम करते हैं । इतना होने पर भी अपने मूल स्वरूप 'क्रिया' को नहीं छोड़ते हैं । अत: सकर्मक क्रियाओं से बनने पर कर्म को साथ लिए रहते हैं । कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है । अतः इनके साथ कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है । इनके प्रत्ययों के लिए देखें पाठ 28, 29, 43 ।
इ, ईकारान्त पुल्लिग
एकवचन
द्वितीया
जइं
द्वितीया
गामणि
उ, ऊकारान्त पुल्लिग
एकवचन द्वितीया द्वितीया खलपुं
जइ यति, गामणी=गाँव का मुखिया बहुवचन जई/जइणो
गामणी/गामणिणो तरु=पेड़, खलपू=खलियान को साफ करनेवाला
बहुवचन तरू/तरुणो खलपू/खलपुणो
वारि=जल, वत्थु वस्तु बहुवचन वारीई/वारीई/वारीणि वत्थूइं/वत्थूइँ/वत्थूणि
इ, उकारान्त नपुंसकलिंग
एकवचन द्वितीया वारि द्वितीया
प्राकृत रचना सौरभ ]
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