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________________ प्रारम्भिक प्राकृत भाषा के सम्बन्ध में निम्नलिखित सामान्य जानकारी आवश्यक है प्राकृत को वर्णमाला स्वर---अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, प्रो । व्यंजन-क, ख, ग, घ, ङ । च, छ, ज, झ, ञ। ट, ठ, ड, ढ, ण। त, थ, द, ध, न। प, फ, ब, भ, म। य, र, ल, व। hd ___ यहां ध्यान देने योग्य है कि असंयुक्त अवस्था में ङ ओर आ का प्रयोग प्राकृत में नहीं पाया जाता है । हेमचन्द्र कृत अपभ्रंश व्याकरण में ङ और ञ का संयुक्त प्रयोग उपलब्ध है । न का भी असंयुक्त और संयुक्त अवस्था में प्रयोग देखा जाता है । ङ, अ, न के स्थान पर संयुक्त अवस्था में अनुस्वार भी विकल्प से होता है । शब्द के अन्त में स्वररहित व्यंजन नहीं होते हैं। वचन प्राकृत भाषा में दो ही वधन होते हैं-एकवचन और बहुवचन । लिग प्राकृत भाषा में तीन लिंग होते हैं-पुल्लिग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग। पुरुष प्राकृत भाषा में तीन पुरुष होते हैं-उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष, अन्य पुरुष । प्राकृत रचना सौरम ] Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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