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________________ विधि कृदन्त (भाववाच्य में प्रयोग ) प्राकृत में 'हँसा जाना चाहिए', 'जागा जाना चाहिए' आदि भावों को प्रकट करने के लिए विधि कृदन्त का प्रयोग किया जाता है । क्रिया में निम्नलिखित प्रत्यय लगाकर विधि कृदन्त बनाये जाते हैं । विधि कृदन्त का भाववाच्य में प्रयोग करने के लिए कर्ता में तृतीया ( एकवचन अथवा बहुवचन) तथा कृदन्त में सदैव नपुंसकलिंग एकवचन ही रहेगा । विधि कृदन्त का यह रूप 'कमल' (नपुंसकलिंग) शब्द की तरह चलेगा । विधि कृदन्त कर्तृवाच्य में प्रयुक्त नहीं होता है । क्रियाएँ अकारान्त पुल्लिंग अकारान्त नपुंसकलिंग कमल आकारान्त स्त्रीलिंग ससा विधि कृदन्त के प्रत्यय 1 हस हँसना, संज्ञाएँ श्रव्व / यव्व तव्व दव्व गीय नरिंद हसिनव्व / हसियव्व ) सेव्व / हसेव्व J हसितव्व / हसेतव्व हसिदव्व / हसे दव्व हसरणीय (अकारान्त क्रियाओं में लगता है) 108 ] हस Jain Education International 2010_03 पाठ 49 सर्वनाम म्ह श्रहं / हं / अम्मि ( पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, एकवचन ) तुम्ह तुमं / तुं / तुह ( पुरुषवाचक सर्वनाम, तसो (पुरुष) तासा (स्त्री) जग्ग जागना, जग्ग 1. पिशल, प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 811, 812 । जग्गिश्रव्व / जग्गियव्व जग्गेव्व / जग्गेयव्व जग्गतव्व / जग्गेतव्व जग्गिदव्व / जग्गेदव्व जग्गणी For Private & Personal Use Only मध्यम पुरुष, एकवचन ) (पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष एकवचन ) विश्वस खिलना विअस विससिश्रव्व वियसियव्व विसेव्व / विश्व से यव्व विग्रसितव्व / विश्र से तव्व विप्रसिदव्व विश्र से दव्व विप्रसणीय [ प्राकृत रचना सौरभ www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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